
गुड़िया मामले से जुड़े सूरज हत्याकांड मामले में दोषियों को सजा मिलेगी, इससे संतोष है, पर मेरे बच्चों का पापा अब वापस नहीं आ सकता। पुलिस की वर्दी पहने उन लोगों ने मनगढ़ंत कहानी बनाकर मेरी दुनिया उजाड़ दी। रविवार को मोबाइल फोन पर सूरज की पत्नी ममता ने यह बात कही। कहा कि लॉकअप तो गुनहगार को भी हिफाजत से रखने के लिए होता है, उसी में एक बेगुनाह को बंद किया, मारा पीटा और हत्या भी कर दी। यह सब चाहे जानबूझकर किया या दुर्घटनावश था, पर यह सच है कि मेरे बेकसूर पति को अमानवीय तरीके से हंसता-खेलता परिवार था। हलाइला गांव में बगीचे में हम काम करते थे, तो हम सब सुख में थे। अचानक मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। यह कहते-कहते ममता का गला रुंघ जाता है।
रोते हुए कहने लगी..
वह रोते हुए कहने लगी- किसी का घर उजड़ना और बेगुनाह को इस तरह से जान से मारना… हमने बहुत बुरा वक्त काटा है। जिनको सजा मिल रही है, उनके अलावा कोई और भी कसूरवार है, यह तो बहुत यकीन के साथ नहीं कह सकती। मैं उतनी पढ़ी-लिखी भी नहीं हूं। पर मुझे कुछ शांति मिल रही है। अब मेरे पति जहां भी हों, उनकी आत्मा को भी शांति मिले। जो हो गया, वापस नहीं हो सकता। चाहे सजा लेट हो रही है, मैं खुश हूं। अब थक चुकी हूं। कोर्ट-कचहरी के ज्यादा चक्कर भी नहीं काट सकती। ममता ने आगे बताया- बच्चे अनाध हो गए। तब मेरा बेटा साढ़े तीन साल और बेटी साढ़े छह वर्ष की थी। अब नेपाल में आठवीं और बेटा पांचवीं क्लास में है। मैं प्राइवेट नौकरी करके गुजारा कर रही हूं। गौरतलब है कि सूरज हत्याकांड में बीते दिन चंडीगढ़ में सीबीआई कोर्ट ने आईजी समेत आठ पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी करार दिया है।
नारी सेवा सदन मशोबरा में रहकर लड़ी इंसाफ की लड़ाई
पति को न्याय मिला तो खुश तो हूं। नेपाल कब गए? इस पर ममता बोली-मैं अपने साथ हुई इस अनहोनी के बाद साढ़े चार साल तक नारी सेवा सदन मशोबरा में रहकर केस लड़ रही थी। सारी उम्र बच्चों को आश्रम में नहीं रख सकती थी। मैं परदेस में थी तो मैंने बच्चों सहित यहां से निकाल लेने का अनुरोध किया। हमें नेपाल में मां-बाप को हैंडओवर किया गया। पुलिस की सुरक्षा में हमें नेपाल तक छोड़ा गया।