सरकार के अधीन होंगे बेनामी भूमि पर बने 200 करोड़ के 90 फ्लैट, साल 2014 में आया था मामला सामने; जानें


 

Himachal 90 flats worth 200 crores built on benami land will be under the government

मंडलायुक्त शिमला की अदालत ने कसौली के पास 45 बीघा बेनामी भूमि पर बने 200 करोड़ के अवैध 90 फ्लैट सरकार के अधीन करने का फैसला सुनाया है। मंडलायुक्त संदीप कदम की अदालत ने डीसी सोलन के आदेशों पर मोहर लगाते हुए यह फैसला सुनाया। वर्ष 2014 में यह मामला सामने आया था। शिकायतकर्ता संतोष कुमार ने पुलिस को शिकायत दी थी कि कसौली के तीन मौजा क्षेत्रों में कुछ लोगों ने फ्लैट बनाने के नाम पर भूमि खरीदी है। इसमें अज्ञात लोगों ने करोड़ों रुपये लगाए, जोकि बेनामी संपत्ति के दायरे में आता है। उस समय के एसपी ने जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंपा। मामले में चार मुख्य आरोपी बनाए गए।

जांच में पाया गया कि बाहरी राज्यों के लोगों ने एक स्थानीय व्यक्ति के बैंक खाते में करोड़ों की ट्रांजेक्शन की है। उसके बाद विभिन्न स्थानों पर करीब 45 बीघा भूमि खरीद कर उस पर बहुमंजिला फ्लैट का निर्माण किया। लंबी जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ धारा-118 के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया।

वर्ष 2016 में मामले की जांच आरंभ हुई। वर्ष 2019 में जिला दंडाधिकारी की अदालत ने भूमि और उस पर हुए निर्माण को सरकार के अधीन करने का फैसला सुनाया। फैसले को चुनौती दी गई और मामला मंडलायुक्त शिमला की अदालत में पहुंचा। यहां जिला दंडाधिकारी के आदेशों को बरकरार रखा गया। उसके बाद एफसी की अदालत ने वर्ष 2021 में फैसले में कमियां बताते हुए इसे वापस जिला दंडाधिकारी को भेज दिया। तब सरकार हाईकोर्ट गई, जहां से यह मामला वापस जिला दंडाधिकारी सोलन को भेजा गया। वर्ष 2023 में तत्कालीन जिला दंडाधिकारी की अदालत ने फैसला बरकरार रखते हुए 45 बीघा भूमि और उस पर हुए सभी प्रकार के निर्माण को सरकार के अधीन करने का फैसला सुनाया। उसके बाद फिर इस फैसले को मंडलायुक्त की अदालत में चुनौती दी गई।

अब मंडलायुक्त संदीप कदम की अदालत ने जिला दंडाधिकारी के आदेशों पर मोहर लगाते हुए अपना फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि वह उन आदेशों के मामले में कोई दखलअंदाजी नहीं करना चाहते, क्योंकि वह आदेश सही हैं। ऐसे में अब कुल भूमि और उस पर बने करीब 200 करोड़ के 90 फ्लैट अब सरकार के निहितार्थ होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

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