सजा के बाद मुस्कुराते जैदी ने कहा- मेरा अच्छा क्लोजअप लेना, पत्नी को गले लगा रो पड़ा रफी

Suraj police lockup Murder Case: After the punishment, Zaidi said smilingly- take a good closeup of me, Rafi

सीबीआई अदालत ने कोटखाई धाने के लॉकअप में बेगुनाह युवक सूरज की पीट-पीटकर हत्या करने के दोषी पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी को उम्रकैद की सजा सुनाई लेकिन उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखी। वह अदालत परिसर में मुस्कुराते हुए नजर आया, जबकि परिजन सजा सुनकर रो पड़े। उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व आईजी जैदी से बात करने का प्रयास किया गया तो उसका कहना था- मेरा अच्छा सा क्लोजअप लेना। जैदी से मिलने पहुंची महिला परिजन अदालत के कमरे के बाहर रोती दिखी। रफी मोहम्मद अदालत से बाहर आते ही पत्नी के गले लग रो पड़ा और बच्चों व मम्मी का ख्याल रखने के लिए कहा। डीएसपी से मिलने पहुंचे परिजनों की आंखें भी नम थीं। उनके बुजुर्ग पिता

 बार-बार अदालत में अंदर बाहर जबकि अन्य दोषियों के परिजन भी गले लगकर रो पड़े। दूसरी ओर, सीबीआई के सरकारी वकील ने सोमवार सुबह अदालत में तर्क दिया कि ये सभी समाज के लिए खतरा हैं। यह मामला रेयरेस्ट ऑफ द रेयर है। सजा में नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। इनको मृत्युदंड दिया जाना चाहिए ताकि पुलिस हिरासत में यातना और मौत की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि सभी दोषी पहली बार अपराधी हैं। उन्हें पहले कभी किसी आपराधिक मामले में शामिल नहीं किया गया है।

आईजी जैदी का सेवा रिकॉर्ड अच्छा है। उसके बच्चे कॉलेज में पढ़ रहे हैं।  डीएसपी मनोज जोशी का भी अच्छा सेवा रिकॉर्ड है, लेकिन इस मामले के कारण नौकरी गंवानी पड़ी। मोहन लाल ने 18 वर्षों तक भारतीय सेना और 18 वर्षों तक पुलिस विभाग में उत्कृष्ट सेवा की है। उसके पास भी एक परिवार की जिम्मेदारी है, जिसकी देखभाल करनी है। पूर्ण सिंह का अच्छा सेवा रिकॉर्ड है। बच्चे कॉलेज में पढ़ रहे हैं। उसका परिवार उस ही निर्भर है। एक दोषी ने कहा है कि 37 वर्षों तक पुलिस विभाग में सेवा की है, उसे परिवार की देखभाल करनी है। एक अन्य दोषी ने दलील दी कि उसने एसडीआरएफ में कई रेस्क्यू ऑपरेशन में लोगों की जान बचाई है। वर्ष 2022 में मणिमहेश में भी रेस्क्यू करते हुए कई लोगों को माैत के मुंह से बाहर निकाला। 

लॉगबुक भी रही जैदी की सजा में अहम सबूत
18 जुलाई 2017 की रात को पुलिस हिरासत में सूरज की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। सीबीआई ने जब एसआईटी प्रमुख की सरकारी गाड़ी की लॉगबुक जांची तो उसमें कोटखाई दिखाया गया था। यहीं से आईपीएस जहूर जैदी की मुश्किलें शुरू हुईं। सीबीआई पूछताछ में उन्होंने साफ मना किया कि वह 18 जुलाई को कोटखाई में नहीं थे, लेकिन उनकी सरकारी गाड़ी की लॉगबुक दूसरी कहानी बयां कर रही थी। जैदी ने कहा कि लॉगबुक उनकी जानकारी के बिना ड्राइवर ने भर दी होगी, लेकिन सीबीआई जांच आठों पुलिस वालों के खिलाफ अदालत में पुख्ता सबूत पेश कर उम्र कैद की सजा दिलाने में कामयाब रही। बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में एकमात्र दोषी नीलू जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। हालांंकि, गुडिया दुष्कर्म में केवल एक ही मुलजिम था, इस पर आज भी कई सवाल खड़े हैं। सीबीआई की जांच में गुड़िया मामले में नीलू के अलावा दूसरा कोई मुलजिम नहीं मिला।

साइंटिफिक एविडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुनगहार नीलू ही है। पुलिस ने मौके से गुड़िया के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी। जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त 2017 में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास अपराध के साइंटिफिक एविडेंस हैं। यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती। सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे। उस जांच के बाद तय हो गया कि गुनहगार एक ही है।सीबीआई ने लिए थे करीब 250 सैंपल सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ।

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