अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, कहा-नियमों में संशोधन करे सरकार, उल्लंघन करने वालों पर हो कार्रवाई

High court is strict on encroachment, said govt should amend the rules

हिमाचल प्रदेश  हाईकोर्ट ने अतिक्रमण के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार को नियमों में संशोधन करने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में कोई सरकारी जमीन पर कब्जा न कर सके। उल्लंघन करने वाले पर आपराधिक मामले के साथ संबंधित अधिकारियों पर भी उचित कार्रवाई की जाए। जनहित याचिका पर फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने साल 2015 से 2024 तक के अलग-अलग आदेशों का जिक्र किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की सूचना एक माह में संबंधित अधिकारी को दी जाए और वह तुरंत कब्जा हटाए। कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों से अर्जित अनुचित लाभ की वसूली भी शुरू करने के आदेश दिए।

न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने बिजली बोर्ड और जल शक्ति विभाग को आदेश दिए कि सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण को बिजली-पानी कनेक्शन न दें। हाईकोर्ट ने राजस्व, वन और लोक निर्माण विभाग को भी निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि पंचायत सचिव और पंचायत अधिकारी भी अतिक्रमण के लिए व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराए जाएंगे। उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण मामलों की रिपोर्ट संबंधित प्रभागीय, वनाधिकारियों, सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी को लिखित तौर पर डीसी को देनी होगी।

हाईकोर्ट ने साथ ही बेदखली की कार्यवाही को अंतिम रूप देने के बाद किसी भी अतिक्रमणकारी को सक्षम न्यायालय की अनुमति के बिना अतिक्रमित भूमि में प्रवेश करने की अनुमति न देने के आदेश जारी किए। खंडपीठ ने कहा कि जिस व्यक्ति ने अतिक्रमण किया है, उसके खिलाफ आपराधिक और सिविल कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने राजस्व, वन विभाग और एनएचएआई को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में वन भूमि और सार्वजनिक रास्तों पर नया अतिक्रमण न हो। अगर ऐसा होता है तो इसकी सूचना संबंधित डिप्टी रेंजर, कानूनगो व कनिष्ठ अभियंता को दें। 

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