
हिमाचल प्रदेश में बनने वाली दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण पर अब और ज्यादा काम होगा। राज्य के उद्योगों में बनी दवाओं के बार-बार फेल होने के कारणों का पता चल सकेगा और दवाओं की गुणवत्ता भी सुधरेगी। इसके लिए बद्दी में कांट्रैक्ट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन एंड सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जा रही है। सेंटर की स्थापना का मकसद एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब हिमाचल के दवा उद्योगों को अनुसंधान, विकास और गुणवत्ता नियंत्रण में सहायता प्रदान करना है। यह केंद्र दवा उद्योगों को एक ही छत के नीचे आवश्यक सेवाएं प्रदान करेगा। इसमें एक वैज्ञानिक के अलावा डॉक्टरों और लैब तकनीशियनों की पूरी टीम काम करेगी।
यह केंद्र हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (एचडीएमए) और मोहाली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (एनआईपीईआर) के संयुक्त तत्वावधान में स्थापित किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार के औषध निर्माण विभाग से 20 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं, जबकि राज्य सरकार इस सेंटर के लिए जमीन देगी। एचडीएमए के उपाध्यक्ष मनोज कुमार व प्रवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि हिमाचल में दवा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई पहल की जा रही है। अगले साल यह सेंटर तैयार हो जाएगा। बद्दी के झाड़माजरी में जो प्रयोगशाला बन रही है, यह सेंटर उसका ही हिस्सा है।