कृषि विवि पालमपुर ने शिमला मिर्च की दो नई किस्में की तैयार, नहीं लगेगा मुरझान रोग

Himachal Agriculture University Palampur has prepared two new varieties of capsicum

शिमला मिर्च की खेती में प्रदेश के किसानों को अब मुरझान रोग से होने वाले नुकसान से राहत मिलेगी। प्रदेश में शिमला मिर्च की अच्छी फसल के लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने इसकी दो नई किस्म तैयार की हैं। इसमें फसल भी अधिक होगी और मुरझान रोग भी नहीं होगा।

कई पर्वतीय क्षेत्रों में रहती है मुरझान की समस्या
प्रदेश में वर्तमान में करीब 90 हजार 940 हेक्टेयर क्षेत्रफल से 19.36 लाख टन सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। इसमें शिमला मिर्च की खेती एवं इसका सफल उत्पादन किसानों की आय में विशेष योगदान दे रहा है। लेकिन, प्रदेश के कई पर्वतीय क्षेत्रों में शिमला मिर्च में मुरझान की समस्या रहती है। इससे इस फसल के लिए मुरझान रोग कृषि विशेषज्ञों के लिए एक मुख्य चुनौती है।

इस रोग की भयंकर स्थिति में फसल पूरी तरह तबाह हो जाती है। इस रोग के कारण पौधे मुरझा जाते हैं, जो 10-15 दिन बाद में पीले पड़ जाते हैं। खास कर प्रदेश के निचले और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में इस रोग की अधिक समस्या रहती है। अब इस रोग से छुटकारा पाने और इसके सफल उत्पादन के लिए कृषि विवि पालमपुर ने लगातार अपने शोध से शिमला मिर्च की जीवाणु मुरझान प्रतिरोधी किस्मों के विकास में सफलता हासिल की है।

अपने शोध में विवि ने शिमला मिर्च की अधिक पैदावार देने वाली और जीवाणु मुरझान रोग प्रतिरोधी किस्में हिम पालम शिमला मिर्च-1 तथा हिम पालम शिमला मिर्च-2 का विकास किया है। इनका अनुमोदन राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी कार्यशाला में किया जा चुका है।

कृषि विवि पालमपुर की ओर से विकसित शिमला मिर्च की जीवाणु मुरझान रोग प्रतिरोधी किस्मों हिम पालम शिमला मिर्च-1 और हिम पालम शिमला मिर्च-2 के फल गहरे हरे रंग के हैं। ये 60-85 ग्राम प्रति फल का भार के साथ औसतन उपज 295-330 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रदान करती हैं

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