एंटीबायोटिक दवाओं को बेअसर कर रहीं घरेलू मक्खियां, आदमी तक ऐसे पहुंच रहा बैक्टीरिया

Research: House flies are neutralizing antibiotics, this is how bacteria are reaching humans

घर या आसपास घरेलू मक्खियां ज्यादा हैं और पास ही पोल्ट्री फार्म भी है तो बीमार होने पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होगा। मक्खियों के शरीर या खाद्य वस्तुओं पर बैठने से पैदा कर रही एंटीबायोटिक के रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पैदा हो रहा है। यह खुलासा दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ शोधकर्ताओं ने किया है। इनमें से एक शोधकर्ता डॉ. नीतीश रावत वर्तमान में आईआईटी मंडी में कार्यरत हैं। यह शोध कार्य दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ. श्रेयता सिंह, डॉ. नीतीश रावत, डॉ. अंजलि कौशिक, डॉ. मेहुल चौहान, डॉ. पुखरामबम पुष्पा देवी, डॉ. बेनाय साबू और डॉ. नरेंद्र कुमार ने किया है। शहीद मंगल पांडे राजकीय बालिका स्नातकोत्तर महाविद्यालय मेरठ के प्राणी विज्ञान विभाग के डॉ. नरेंद्र कुमार भी इस अध्ययन में शामिल हुए। डॉ. नीतीश रावत वर्तमान में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि मूल शोध डॉ. श्रेयता सिंह का है। उन्होंने इसमें सहयोग किया है। इसे डॉ. रमन राजागोपाल की निगरानी में किया गया। इस संबंध में भविष्य में भी शोध कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा।

आदमी तक ऐसे पहुंच रहा बैक्टीरिया
शोधकर्ताओं ने मेरठ के एक पोल्ट्री फार्म में जब जांच की तो 68.6 प्रतिशत घरेलू मक्खियों ने ई-कोलाई बैक्टीरिया को पनाह दी हुई थी। इनमें से 80 प्रतिशत बैक्टीरिया एमडीआर था, यानी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया था। जिस पर बहुत सी एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं हो सकता था। यही मक्खियां स्वाभाविक रूप से आसपास के घरों में भी पहुंच रही थीं तो इससे लोगों को भी इस बैक्टीरिया की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। इस बैक्टीरिया के कारण रोगी मनुष्य पर भी एंटीबायोटिक असर नहीं करेगी।

पोल्ट्री फार्म में क्यों तैयार हो रहा एमडीआर बैक्टीरिया
डॉ. नीतीश रावत ने बताया कि पोल्ट्री फार्मों में मुर्गियों को खूब एंटीबायोटिक खिलाने का चलन है। एंटीबायाेटिक खिलाने से इन कुक्कुटों का वजन और आकार बढ़ जाता है। यह ढाई महीनों में ही ढाई किलो तक हो जाता है। वरना इनके बड़े होने में कई महीने भी लग सकते हैं। एंटीबायोटिक खिलाने से इनमें मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पैदा हो जाता है।

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