
रूस से लाई लवणनुमा म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद हिमाचल के सेब के फलों में मिठास घोलेगी। इंडियन पोटाश लिमिटेड ने रूस से आयात कर इसकी एक खेप हिमाचल भेजी है। इसे बागवानों ने हाथोंहाथ उठा लिया। अब नई सप्लाई का इंतजार है। इसे हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी मार्केटिंग एवं कंज्यूमर फेडरेशन (हिमफेड) ने मंगवाया।
यह खाद सेब फलों को विकसित करने और इसमें मिठास घोलने और इसमें लाल रंग लाने में बड़ी भूमिका निभाती है। म्यूरेट ऑफ पोटाश का शिमला के निकटवर्ती गांवों में 50 किलोग्राम का एक बैग 1550 रुपये तक मिल रहा है। इसे सेब के एक बड़े पेड़ के पास एक से डेढ़ किलो तक डाला जाता है। इसे तौलियों में मिलाया जाता है। मिट्टी के माध्यम से पोटाशियम सेब के फलों को मिलता है। यह लवण के रूप में होती है और जल में घुलनशील होती है।
क्यों की जा रही रूस से आयात
म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद को प्राकृतिक रूप से रूस, जॉर्डन समेत कई देशों में खनिज के रूप में खानों से खोदा जाता है। इसे खुद नहीं बनाया जाता है। भारत में इंडियन पोटाश लिमिटेड समेत कई कंपनियां इसे विदेशों से आयात करती है। इसके बाद इसकी पैकिंग और मार्केटिंग करती है। यानी इसे प्राकृतिक रूप से खोदा जाता है। हिमाचल में कुछ वर्षों में इंडियन पोटाश लिमिटेड ने इसे जॉर्डन से भी आयात किया।
बारिश होते ही बढ़ी पोटाश की मांग
पिछले दिनों से कई क्षेत्रों में अच्छी नमी आने के बाद कई स्टोरों में म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद की खूब मांग बढ़ गई है। इससे हिमफेड के कई स्टोरों में यह खाद खत्म हो गई है। हिमफेड के महाप्रबंधक जीएस नेगी और विपणन सहायक विकास ने बताया कि पोटाश खाद की मांग को देखते हुए इसके करीब 26,000 बैग मंगवाए गए हैं। यानी 1300 मीट्रिक टन खाद की नई मांग की गई है।
नाइट्रोजन और फासफोरस खादें सेब के पौधों तो फलों के विकास के लिए पोटाश जरूरी
डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने बताया कि सेब के लिए तीन खादों की बहुत भूमिका होती है। पोटाश सेब में मिठास घोलने और लाल रंग लाने में मदद करती है। नाइट्रोजन और फासफोरस खादें पौधों के विकास के लिए जरूरी होती हैं तो फलों के विकास के लिए पोटाश जरूरी है।