हिमाचल हाईकोर्ट में सुनवाई, वकील की दलील- सबूतों और नमूनों से की गई है छेड़छाड़; जानें मामला

Gudiya case Hearing in Himachal High Court lawyer argument evidence and samples have been tampered

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में गुड़िया मामले में दोषी चिरानी नीलू को जिला अदालत शिमला की ओर से आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई हुई। यह सुनवाई न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ कर रही है। अदालत में दोषी की ओर से पेश अधिवक्ता ने सीबीआई की ओर से जुटाए साक्ष्यों पर सवाल उठाए खंडपीठ ने पूछा कि क्या अपराधी ने इससे पहले भी कोई अपराध किया है।

इस पर अधिवक्ता ने कहा कि सिरमौर की अदालत ने हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने 10 साल कर दिया। इसके बाद अदालत ने कहा कि ऐसा कौन सा कारण है, जिससे दोषी व्यक्ति अपने आप को बेकसूर साबित कर सके। इस पर अदालत को अवगत कराए। अधिवक्ता ने दलीलों में कहा कि सीबीआई ने याचिकाकर्ता को एक साल बाद गिरफ्तार किया, जबकि गुड़िया की हत्या इससे पहले हो चुकी थी।

सीबीआई ने 5 जुलाई 2017 को घटना के बाद से 12 अप्रैल 2018 तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। जब आरोपी की मां का डीएनए मैच हुआ तो उसके एक साल बीत जाने के बाद 13 अप्रैल 2018 को याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया गया। नीलू के मामले में अब अदालत दो दिन लगातार 3 बजे के बाद सुनवाई करेगी। इस पर अधिवक्ता मंगलवार को अदालत में अपनी दलीलें देंगे।

नीलू ने जिला अदालत शिमला के फैसले को चुनौती दी है। अधिवक्ता ने दलीलों में कहा कि इस मामले में सीबीआई की ओर से 250 लोगों के खून के नमूने जांच के लिए। दलीलों में सबूतों और नमूनों से छेड़छाड़ की गई है। गवाहों के बयानों से यह साबित होता है। वर्ष 2017 में गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामला सामने आया। नीलू चिरानी को गुड़िया के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले में सजा हुई है।

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