भांग की खेती पर शोध करने के लिए खर्च होंगे तीन करोड़, जानें क्या है सरकार की योजना

Three crores will be spent to do research on Bhang cultivation in Himachal, know what is the govt plan

हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती पर शोध करने पर तीन करोड़ खर्च होंगे। चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और डॉ. वाईएस परमार उद्यानिकी एवं वाणिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन ने शोध करने के लिए तीन करोड़ रुपये की हामी भरी है। हिमाचल में कहां किस तरह की भांग का बीज उगेगा, इसका पता लगाया जाएगा। बुधवार को सचिवालय में कृषि सचिव सी. पालरासू और दोनों विश्वविद्यालयों के अधिकारियों की बैठक हुई है। इसमें शोध को लेकर चर्चा की गई। उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भांग की खेती को मंजूरी दी गई है। इन राज्यों में तैयार की जाने वाली भांग को दवाइयों के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है। हिमाचल सरकार भी दवाओं के लिए भांग उगाने पर विचार कर रहा है।

स्वरोजगार की नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे
हिमाचल में भांग की औषधीय और औद्योगिक खेती से स्वरोजगार की नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। प्रदेश सरकार को भांग की खेती से राज्य में बड़े निवेश की संभावना है। विश्व के लगभग 30 देशों में भांग की खेती होती है। भांग के रेशे (फाइबर) का उपयोग टेक्सटाइल, कागज, पल्प, फर्नीचर समेत अन्य उद्योगों में होता है। यही नहीं, कैंसर, ग्लूकोमा, मधुमेह जैसी बीमारियों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवाओं के निर्माण में भी भांग का उपयोग होता है। इस सबको देखते हुए हिमाचल में भांग की खेती की संभावनाएं, बाजार की उपलब्धता तलाशी जा रही है। प्रदेश सरकार औद्योगिक व औषधीय भांग की खेती के लिए नियम, लाइसेंस, निगरानी, जांच व प्रसंस्करण से लेकर उद्योग स्थापना तक के लिए नियम तैयार करने पर विचार कर रही है।

खेतों के लिए किसानों, कंपनियों को लेने होंगे लाइसेंस
सरकार की योजना के मुताबिक भांग की खेती के लिए किसानों या कंपनियों को लाइसेंस लेने होंगे। औद्योगिक उद्देश्य के लिए भांग खुले में बोई जा सकेगी, जबकि दवाओं वाली भांग को पॉली हाउस और ग्रीन हाउस में संरक्षित तरीके से उगाया जाएगा। औद्योगिक इस्तेमाल के लिए हाइब्रिड बीजों को उगाने की व्यवस्था की जाएगी। दवाओं में उपयोग वाली भांग खुद फार्मा कंपनियां उगा सकती हैं, उनके साथ किसानों और सरकार का करार करवाया जा सकता है। कृषि और बागवानी विश्वविद्यालय भांग उगाने का शेड्यूल बनाएंगे। राज्य में भांग बीज बैंक की स्थापना की जाएगी। कृषि विभाग के सचिव सीपाल रासू ने बताया कि दोनों विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है। दोनों विवि ने शोध करने के लिए तीन करोड़ रुपये खर्च होना का अनुमान लगाया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *