एसीसी फैक्ट्री से निकलने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर शोध करेगा एम्स, इस मशीन से होगी जांच

Himachal News AIIMS will research the harmful effects of pollution from ACC factory

एसीसी सीमेंट फैक्ट्री से होने वाले प्रदूषण का स्वास्थ्य और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, अब इस पर अध्ययन किया जाएगा। प्रदूषण के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिए प्रदेश सरकार ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रिवेंटिव मेडिसिन विभाग को विशेष शोध परियोजना सौंपी है। प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने 33 लाख रुपये का बजट भी जारी कर दिया है।

यह प्रोजेक्ट एक साल तक चलेगा, जिसमें एम्स के विशेषज्ञों की टीम उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर फैक्ट्री से निकलने वाले कार्बन पार्टिकल्स और अन्य हानिकारक तत्वों की जांच करेगी। खासतौर पर अत्याधुनिक मशीनों के माध्यम से इन प्रदूषकों की विस्तृत स्टडी की जाएगी, जिससे यह पता लगाया जा सके कि वे स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य पर क्या असर डाल रहे हैं। शोध का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि प्रदूषण के कारण लोगों को किस तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें श्वसन रोग, फेफड़ों की बीमारियां, हृदय संबंधी समस्याएं और अन्य संभावित स्वास्थ्य प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा।

प्रभावित इलाकों में लोगों की स्वास्थ्य जांच करेगी टीम
विशेषज्ञों की टीम प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी और वहां के निवासियों की स्वास्थ्य जांच करेगी। इस शोध परियोजना का सबसे अहम पहलू यह होगा कि सिर्फ अध्ययन ही नहीं, बल्कि प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का उपचार तक इसमें शामिल होगा। एम्स की टीम इस बात पर भी काम करेगी कि प्रदूषण का स्तर कितना है और इसके दुष्प्रभाव कितने हैं।

पांच पंचायतों में 2000 से 2015 तक 32 मानसिक रूप से कमजोर बच्चे पैदा हुए
बताते चलें कि एक रिपोर्ट के अनुसार एसीसी की आसपास की पांच पंचायतों बरमाणा, हरनोड़ा, धौन कोठी, बैरी रजादियां और जमथल में साल 2000 से 2015 तक 32 मानसिक रूप से कमजोर बच्चे पैदा हुए हैं। लेकिन इन बच्चों के परिवार का इस तरह की बीमारी का कोई इतिहास नहीं है। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने कमेटी बनाकर जांच भी कराई थी। इसमें तय हुआ था कि वैज्ञानिकों की विशेष टीम को इसकी स्टडी के लिए बुलाया जाएगा। लेकिन वह आज तक नहीं पहुंची। इसके बाद भी बरमाणा के कुछ लोग प्रदूषण के मामले को लेकर एनजीटी तक पहुंचे। आसपास के लोगों में सीने और गुर्दों को संबंधित भी कई तरह की बीमारियां सामने आती रहती हैं। लेकिन अब तक इन सब पर कोई भी शोध या जांच नहीं हो सकी थी। वहीं अब जाकर प्रदेश सरकार ने एसीसी के प्रदूषण पर शोध करने के लिए एम्स के प्रिवेंटिव मेडिसिन विभाग को यह प्रोजेक्ट सौंपा है।

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