
विकास और शासन के मानकों में प्रदेश की करीब 80% पंचायतें फिसड्डी हैं। इसके अलावा 20 प्रतिशत पंचायतों का काम औसत है। पूरे प्रदेश में केवल एक पंचायत है जिसे ए प्लस ग्रेड मिला है। यह खुलासा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य ग्रामीण विकास अंतरविष्य अध्ययन विभाग के डॉ. बलदेव नेगी ने किया है।
उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय की ओर से जारी पंचायती उन्नयन सूचकांक (पीआईए) के आंकड़ों को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें प्रदेश की पंचायतों में विकास की दर और उनमें करवाए जा रहे कार्यों का विश्लेषण किया गया है। राज्य की 3615 में से 3403 पंचायतों का अध्ययन किया गया है। इसमें से 3328 पंचायतों का डाटा की समीक्षा की गई। इसमें 79.5 प्रतिशत (2647) पंचायतें सी कैटेगिरी में हैं। ये पंचायतें अभी विकास और शासन के मानकों में पूरी तरह खरी नहीं उतरी हैं। केवल 673 पंचायतें (22%) बी कैटेगिरी में हैं। इनमें काम मध्यम प्रगति से चल रहा है। केवल एक पंचायत ए प्लस कैटेगिरी में है। यह शिमला जिले की थानाधार पंचायत है।
यह 77.63 अंक लेकर शीर्ष स्थान पर है।
पंचायती उन्नयन सूचकांक में प्रदेश की पंचायतों की विकास दर और उनमें किए जा रहे कार्यों के आकलन को लेकर विश्लेषण रिपोर्ट तैयार की गई है। नौ थीम के आधार पर विश्लेषण किया गया है। इसमें गरीबी मुक्त आजीविका सुधार में 3,328 में से 2,015 पंचायतें बी श्रेणी में है, जो इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। स्वस्थ पंचायत की श्रेणी में 2,574 पंचायतें ए श्रेणी में है, इन पंचायतों में स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छता, और प्राथमिक स्वास्थ्य में स्थिति ग्राम स्तर पर मजबूत है।
ये हैं प्रदेश की 10 शीर्ष पंचायतें
पीआईए स्कोर के अनुसार प्रदेश की दस पंचायतों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इनमें शिमला की थानाधार पंचायत 77.63 अंक लेकर शीर्ष स्थान पाया है। हमीरपुर जिला की चार पंचायतें मजबूत शासन व्यवस्था के चलते, शिमला और मंडी की दो-दो पंचायतें सूची में शामिल हैं। वहीं जिला चंबा और कांगड़ा की एक-एक पंचायत भी श्रेष्ठ पंचायतों की सूची में शामिल है।
सबसे कम स्कोर वाली 10 में से 9 पंचायतें शिमला की
सबसे कम पीआईए स्कोर वाली दस पंचायतों में से नौ जिला शिमला की ही हैं। इनमें शिमला की थैली चकटी सबसे नीचे है। अन्य में जुब्बल, ठियोग, ननखड़ी, कुपवी, चौपाल ब्लॉक की पंचायतें है। एक कुल्लू जिला की जाना पंचायत इसमें है।