सिंधु जल संधि के कारण हिमाचल अपने ही पानी का नहीं कर पा रहा इस्तेमाल, जानें पूरा मामला

Due to Indus Water Treaty, Himachal is not able to use its own water, know the whole matter

 भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के केंद्र में रही सिंधु नदी जल संधि के कारण हिमाचल प्रदेश अपने ही पानी का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। लाहौल-स्पीति से निकलने वाली चिनाब नदी पर न बिजली प्रोजेक्ट लग पा रहे हैं और न ही इस नदी का पानी सिंचाई के काम आ रहा है। संधि में प्रावधान होने के बावजूद चिनाब पर हर परियोजना पर पाकिस्तान आपत्ति करता रहा है।

30 बिजली प्रोजेक्टों पर आपत्ति दर्ज करवा चुका पाकिस्तान
पूर्व में पाकिस्तान चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर बनने वाले लगभग 30 बिजली प्रोजेक्टों पर आपत्ति दर्ज करवा चुका है। इनमें बिना पानी रोक बना लाहौल का 4.5 मेगावाट का थियोट प्रोजेक्ट भी शामिल है। सिंधु जल समझौते के तहत तीन पश्चिमी नदियां चिनाब, झेलम एवं सिंधु का पानी पाकिस्तान को दिया गया है।  बिजली उत्पादन, कृषि आदि के लिए इन नदियों के पानी के सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को है।

चिनाब का उद्गम दो नदियों  से हुआ
चिनाब का उद्गम हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति से निकलने वाली दो नदियों चंद्रा और भागा से हुआ है। दोनों नदियां तांदी में मिलती हैं, जहां यह चंद्रभागा के नाम से जानी जाती है। जेएंडके में प्रवेश करते ही इसका नाम चिनाब हो जाता है। हिमाचल के करीब 960 किलोमीटर क्षेत्र में औसतन 800.60 क्यूसिक मीटर पानी लेकर बहने वाली इस नदी का उपयोग हिमाचल नहीं कर पा रहा। आलू और मटर जैसी कई फसलों के लिए मशहूर लाहौल में ही खेती के लिए इस नदी के पानी का उपयोग न के बराबर होता है।

चिनाब बेसिन पर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित होना राष्ट्रीय हित में: जस्टा
जस्टा ऊर्जा विशेषज्ञ इंजीनियर आरएल जस्टा का कहना है चिनाब नदी पर जल विद्युत परियोजनाओं को स्थापित करने का अभी तक कार्य धीमा रहा है। इन दोनों नदियों में अगर परियोजनाओं को स्थापित किया जाए तो अधिक ऊर्जा का दोहन हो सकता है। हिमाचल के साथ-साथ यह फैसला राष्ट्रीय हित में भी होगा।

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