तय से ज्यादा बजट खर्च करने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई, एक्शन मोड में आया वित्त विभाग

Action will be taken against officers who spend more than the fixed budget, Finance Department comes into acti

हिमाचल प्रदेश के सरकारी विभागों में तय से ज्यादा बजट खर्च करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। प्रधान महालेखाकार लेखा परीक्षा की टिप्पणी के बाद राज्य सरकार का वित्त विभाग एक्शन मोड आ गया है। दरअसल कई विभागों में अधिक व्यय और बचत के मामले सामने आ रहे हैं। सरकारी महकमे नियमों की अनुपालना नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार ने सभी प्रशासनिक सचिवों को पत्र भेजा है, जिसमें स्पष्ट किया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में हुए अधिक व्यय के कारणों को संकलित करके इसका ज्ञापन प्रधान महालेखाकार लेखा परीक्षा को विचार और टिप्पणी के लिए भेजा गया था। 

इसमें टिप्पणी की गई कि अकसर यह देखा गया है कि हर वर्ष प्रतिवेदन में इस तरह के मामले इंगित किए जाने के बावजूद विभागों की ओर से हर साल बजट प्रावधानों से अधिक व्यय और पर्याप्त बचत के मामले सामने आ रहे हैं। ये विभागों की नियमों की अनुपालना के प्रति उदासीनता को दिखाते हैं। राज्य सरकार के जो विभाग बिना पूर्व अनुमति के अथवा बिना प्रावधान के अतिरिक्त व्यय करें या वर्ष के अंत तक अधिक मात्रा में बचत दर्शाएं, उन विभागों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई अमल में लाई जाए। इससे इस प्रकार की गैर जिम्मेदाराना प्रवृत्तियों को रोका जा सकेगा। इस पत्र के अनुसार महालेखाकार कार्यालय की टिप्पणी से यह बात साफ होती है कि विभागों की ओर से वित्तीय अनुशासन और नियमों की अनुपालन नहीं की जा रही है।

व्यय के अनुमान बिना पड़ताल के प्रेषित कर रहे महकमे
पत्र में टिप्पणी गई है कि विभाग विवरणिका में व्यय के अनुमान बिना पड़ताल के प्रेषित कर रहे हैं। इस कारण अनावश्यक अनुपूरक मांगें बन रही हैं। इसके बाद विभाग अंतिम आधिक्य और अभ्यर्पण विवरणिका में बड़ी मात्रा में प्रावधानों का अभ्यर्पण भी कर रहे हैं। विभागों की ओर से बार-बार दोहराई जा रही इस प्रवृत्ति पर आपत्ति जताते हुए अनुशंसा की गई है कि वित्तीय अनुशासन और नियमों की अनुपालना न करने वाले विभागों पर ठोस कार्रवाई की जाए। सुनिश्चित किया जाए कि वित्त विभाग की पूर्ण सहमति और बजट प्रावधान के बिना किसी भी प्रकार का व्यय नहींं किया जाए। द्वितीय आधिक्य और अभ्यर्पण विवरणिका में सही आंकड़े वित्त विभाग को भेजे जाएं, जिससे अनावश्यक अनुपूरक मांगें न बनें और न ही अंत में विभाग के पास अधिक बचत बचे। यदि भविष्य में विभागों की ओर से वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं किया जाता है तो वित्त विभाग संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा करने के लिए बाध्य होगा।

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