ये गांव है वीर जवानों का.. सरहद की निगहबानी में तैनात 38 युवा; स्कूल समय से शुरू हो जाती है तैयारी

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Himachal Lahaul Valley hinsa village of brave soldiers 38 youth deployed to guard the border

जनजातीय क्षेत्र लाहौल घाटी के हिंसा गांव की मिट्टी में देश सेवा का जज्बा भरा है। गांव के 38 जवान सेना में हैं। वर्तमान में करीब 23 जवान जम्मू-कश्मीर में बार्डर पर सेवाएं दे रहे हैं। 72 परिवारों के इस गांव के बच्चे स्कूली स्तर पर ही खेलकूद में अपनी प्रतिभा दिखाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में सेना में जाने की रुचि भी स्कूल स्तर से ही शुरू हो जाती है। गांव को वीर जवानों का गांव कहें तो गलत नहीं होगा। गांव के 38 युवा इस समय सेना में देश की रक्षा कर रहे हैं और 12 लोग सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं।

इसके अलावा दो जवान आईटीबीपी और दो एसएसबी में भी सेवाएं दे रहे हैं। खास बात है कि अप्रैल 2024 में हिंसा गांव से एक साथ आठ लड़के अग्निवीर में भर्ती हुए थे। इनमें कुछ इकलौते तो कुछ परिवारों के दोनों बेटे भारतीय सेना में सेवा कर रहे हैं। दुर्गम क्षेत्र होने से घाटी के युवाओं के लिए सेना में जाने या किसी खेल गतिविधियों में आगे जाने के लिए कोई अकादमी या कोई दूसरे प्रशिक्षण केंद्र भी नहीं हैं। हिंसा गांव के बच्चों ने स्कूली स्तर से ही अपने आपको भारतीय सेना के लिए तैयार किया है।

आसपास के गांवों से भी कई युवा भारतीय सेना में हैं, लेकिन हिंसा गांव से सबसे अधिक युवा भारतीय सेना में हैं। सेना से सेवानिवृत्त राम लाल ठाकुर ने बताया कि यहां के बच्चे स्कूली स्तर से ही खेलों में बहुत रुचि दिखाते हैं। हिंसा गांव के जय किशन ने बताया कि उनके गांव से सूर चंद लारजे सबसे पहले सेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में 38 जवान सरहद में ड्यूटी दे रहे हैं। इसमें आठ के करीब अग्निवीर हैं। लारजे ने बताया कि गांव के 23 जवान जम्मू-कश्मीर की सीमा पर तैनात हैं।

हिंसा गांव के अजीत सिंह ने कहा कि उनके चचेरा भाई संजीत सिंह और सुरजीत सिंह सेना में हैं। इनमें एक जवान बॉर्डर पर तो दूसरा जम्मू-कश्मीर में तैनात है। भारत-पाक के विवाद के बीच उनसे बात नहीं हुई है।

हिंसा गांव के राम सिंह ने कहा उनका बड़ा भाई पूर्ण चंद समदो में तैनात है। भारत-पाक के विवाद से पहले छुट्टी पर घर आए थे। तनाव बढ़वा देख वह अपने वतन की हिफाजत को समदो के लिए रवाना हो गए हैं।

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