
हिमाचल प्रदेश में देश का पहला इथेनॉल, ग्रीन हाइड्रोजन और एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट) उद्योग 11 महीने के भीतर नालागढ़ में काम करना शुरू कर देगा। इसके लिए मैसर्स स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेज लिमिटेड हिमाचल में 1400 करोड़ रुपये निवेश करने जा रही है। यह उद्योग डेढ़ सौ बीघा में लगेगा। उद्योग विभाग ने कंपनी को अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा कराने को कहा है। इसमें हिमाचल के करीब 5,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।
आगामी सिंगल विंडो को बैठक में इस मामले को मंजूरी के लिए लाया जा रहा है। स्प्रे इंजीनियर पहले इस उद्योग को मध्यप्रदेश या फिर उत्तर प्रदेश में लगाने कर रही थी। इसकी सूचना मिलते ही उद्योग विभाग के अधिकारियों ने उद्योगपति से मुलाकात कर हिमाचल में निवेश करने को तैयार किया। मुख्यमंत्री की उपस्थिति में उद्योग विभाग के अधिकारी और कंपनी के बीच इस बारे में पहले ही एमओयू साइन कराया गया। अब इसे जमीन पर उतारा जा रहा है।
डेढ़ सौ बीघा में तीन प्लांट लगेंगे
उद्योग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक डेढ़ सौ बीघा में तीन प्लांट लगेंगे। इसमें एपीआई, ग्रीन हाइड्रोजन और इथेनॉल शामिल हैं। ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन का विकल्प होगा। इसके साथ ही स्प्रे इंजीनियर फार्मा की मशीनें तैयार करेगी। शुरुआत में इस परियोजना को पहले चरण में 30 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी। फार्मा की मशीनें भी स्प्रे इंजीनियर तैयार करेगी। देश के कई राज्यों में स्प्रे इंजीनियर ने उद्योग स्थापित किए हैं। हिमाचल में भी 1995 में स्प्रे इंजीनियर ने इंजीनियर गुड्स उद्योग स्थापित किया है। उद्योग विभाग के अधिकारियों ने औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ में स्प्रे इंजीनियर को जमीन दिखा दी है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश करने वाली होगी कंपनी
हिमाचल में स्प्रे इंजीनियर सबसे ज्यादा निवेश करने वाली कंपनी होगी। हिमाचल में यह कंपनी माल तैयार कर देश विदेश भेजेगा। इस उद्योग के स्थापित होने से हिमाचल और स्प्रे इंजीनियर को फायदा होगा।
हिमाचल में स्प्रे इंजीनियर कंपनी 1400 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। स्प्रे इंजीनियर को प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है। जल्द ही इसे जमीन पर उतारा जाएगा। नालागढ़ में यह उद्योग लगेगा। इसमें हिमाचल के बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्रदान होंगे।–