
हिमाचल प्रदेश में उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बोरवेल और ट्यूबवेल का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। भू-जल उपयोगकर्ताओं को 30 जून तक जल शक्ति विभाग के पोर्टल पर संबंधित डाटा अपलोड करना होगा। तय अवधि के बाद कोई आवेदन करता है तो उसे विभाग रद्द कर देगा। साथ ही उसे अवैध बोरवेल व ट्यूबवेल माना जाएगा और विभाग सख्त कार्रवाई करेगा।
इसी के साथ यदि को पंजीकरण नहीं करवाता है तो उस पर कार्रवाई की गाज भी गिरेगी। कार्रवाई करते हुए विभाग ट्यूबवेल और बोरवेल को बंद कर देगा। विभाग ने पंजीकरण का अंतिम मौका उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को दिया है। पंजीकरण के बाद विभाग की ओर से अवैध तौर पर चल रहे बोरवेल और ट्यूबवेल का आसानी से पता कर सकेगा।
प्रदेश में अब तक कितने ट्यूबवेल और बोरवेल हैं, इसकी विभाग के पास कोई सटीक जानकारी नहीं है। क्योंकि जल शक्ति विभाग संस्थानों को केवल अनुमति देता है। इसके बाद संस्थान अपनी जगह पर बोरवेल और ट्यूबवेल लगा देते थे। इससे सरकार को कोई रॉयल्टी भी नहीं मिल रही थी। भू-जल से रोजाना हजारों लीटर पानी का प्रयोग करने वाले उद्योग व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से विभाग को कोई फायदा नहीं हो रहा था। साथ ही गर्मियों में भू-जल में गिरावट आनी भी शुरू जाती थी। इन सब चीजों को देखते हुए विभाग ने निर्णय लिया कि बोरवेल व ट्यूबवेल का प्रयोग करने वालों का पंजीकरण करवाया जाए। इसे लेकर विभाग ने प्रदेश भू-जल (विनियमन एवं विकास एवं प्रबंधन का नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2022 के तहत आदेश जारी कर दिए हैं।
इस पोर्टल पर करवाना होगा पंजीकरण
भू-जल उपयोगकर्ताओं को पंजीकरण प्रमाणपत्र के लिए www.emerginghimachal.hp.gov.in व jsv.hp.nic.in पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करवाना होगा। अधिनियम की धारा 8 के तहत फॉर्म-4ए पर ऑनलाइन आवेदन 30 जून या उससे पहले कराना होगा। इसके पश्चात यह पोर्टल निष्क्रिय हो जाएंगे।
प्रदेश में उद्योगों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लगे बाेरवेल और ट्यूबवेल का पंजीकरण करवाना होगा। इसे लेकर प्रदेश भू-जल (विनियमन एवं विकास एवं प्रबंधन का नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2022 तथा नियम 2007/ केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण के तहत आदेश जारी कर दिए हैं। इसके बाद अनधिकृत ट्यूबवेल एवं बोरवेल पर कार्रवाई की जाएगी।