57 दुलर्भ औषधीय पाैधे विलुप्त होने के कगार पर, जैव विविधता बोर्ड ने जारी की रिपोर्ट

Spread the love
57 rare medicinal plants are on the verge of extinction, State Biodiversity Board released a report

हिमाचल प्रदेश में कई दुर्लभ औषधीय पौधों की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। प्रदेश जैव विविधता बोर्ड ने प्रदेश में 57 जंगली औषधीय पौधों की प्रजातियों को संकटग्रस्त घोषित किया है। पौधों में से कुछ विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों तक सीमित हैं और इनका औषधीय महत्व है। औषधीय पौधा मोहरा विभिन्न प्रकार के बुखार और दर्द निवारण में उपयोग होता है। अतीस पाचन तंत्र की बीमारियों में लाभकारी होता है और मीठा तेलिया श्वसन संबंधी रोगों में उपयोगी है। रतनजोत त्वचा रोगों और घावों के इलाज में कारगार है।

इन पाैधों के कई औषधीय गुण
झारका पौधे में स्नायु तंत्र को शांत करने वाले गुण होते हैं। तेजपत्ता, कुटकी, और चिरायता जैसे पौधे यकृत विकारों, बुखार और अपच में लाभकारी माने जाते हैं। सलाम पंजा, सलाम मिश्री और काकोली जैसे बल्य और पौष्टिक पौधे पुरुषत्व और शारीरिक दुर्बलता के उपचार में प्रयोग होते हैं। रेवंद चीनी पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक है। टैक्सस वाल्लिचियाना पौधे से कैंसर की दवा बनती है। जटामांसी, हायोस्यैमस और हाइपेरिकम मानसिक तनाव, अनिद्रा और तंत्रिका विकारों में प्रभावी माने जाते हैं। सोमलता और हौवर जैसे पौधे श्वसन और हृदय तंत्र को सुदृढ़ करने में सहायक हैं। बैंकक्री, दुधिया बाच, और ओनोस्मा जैसे दुर्लभ पौधे संक्रमण और सूजन में प्रभावी हैं।

संकट के मुख्य कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि पौधों पर संकट का कारण असंगठित और अंधाधुंध दोहन है। कई बार स्थानीय लोग जो आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर रहते हैं, बिना किसी वैज्ञानिक मार्गदर्शन के इन्हें उखाड़ लेते हैं। पर्यावरण चक्र में परिवर्तन और पिछले 100 साल में बढ़ा एक डिग्री तापमान भी इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है।

सरकार, वन विभागं कर रहे संरक्षण की पहल
सरकार औषधीय पौधों के संरक्षण को लेकर कदम उठा रही है। राज्य वन विभाग की ओर से औषधीय पौधों के संरक्षण क्षेत्र की स्थापना की गई है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 18 एमपीसीए स्थापित किए गए हैं।

केवल सरकारी प्रयासों से इन प्रजातियों को संरक्षित नहीं किया जा सकता। इसके लिए स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षण देकर उनके पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़ना होगा। जलवायु 6 परिवर्तन के प्रभाव से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तापमान और वर्षा के पैटर्न में बदलाव देखा जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *