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भारत एफएटीएफ के समक्ष पाकिस्तान को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी नियमों का पालन करने में विफल रहने के कारण उसे अपनी “ग्रे सूची” में वापस लाने के लिए मजबूत मामला रखेगा। एक सरकारी सूत्र यह जानकारी दी है।
जब सूत्र से पूछा गया कि क्या भारत वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के समक्ष पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने का मामला रखेगा, तो उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे को (एफएटीएफ के समक्ष) उठाएंगे।”
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत का मानना है कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र से उत्पन्न आतंकवाद पर कार्रवाई करने में विफल रहा है और वह बहुपक्षीय एजेंसियों से प्राप्त धनराशि को हथियार और गोला-बारूद खरीदने में लगा रहा है।
जो देश धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने शासन में रणनीतिक कमियों को दूर करने में विफल रहते हैं, और जिन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, उन्हें एफएटीएफ की ग्रे सूची में रखा जाता है।
जब एफएटीएफ किसी क्षेत्र को को बढ़ी हुई निगरानी के अधीन रखता है, तो इसका अर्थ है कि उस देश ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर पहचानी गई रणनीतिक कमियों को शीघ्रता से हल करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है और अब उस पर बढ़ी हुई निगरानी लागू होगी।
एफएटीएफ, जो एक निर्णय लेने वाली संस्था है की पूर्ण बैठक साल में तीन बार- फरवरी, जून और अक्तूबर में होती है। 2018 में पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था और उसने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना दी थी। इसके बाद 2022 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को इस सूची से हटा दिया था। भारत ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान को आईएमएफ के बेलआउट पैकेज की किश्त जारी करने का विरोध किया था।