एक सप्ताह तक कृषि वैज्ञानिक फील्ड में जाकर करेंगे किसानों की समस्याओं का समाधान

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सोलन। नौणी विवि ने अपने पांच कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान स्टेशनों के साथ मिलकर भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत व्यापक किसान आउटरीच पहल शुरू की है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत, नौणी विवि ने सोलन, शिमला, चंबा, किन्नौर और ताबो में स्थित अपने कृषि विज्ञान केंद्रों और मशोबरा एवं शारबो में क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण स्टेशन के विशेषज्ञों की 12 टीमों को संगठित किया हैं। ये टीमें हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों के विभिन्न गांवों का दौरा करेंगी और किसानों से सीधे संपर्क करेंगी ताकि उन्हें तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके। आउटरीच टीमों में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन और आत्मा जैसे संबद्ध विभागों के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान और स्थानीय एफपीओ के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने नौणी, शमरोड़ और कोटला पंजोला के किसानों के एक समूह को संबोधित किया। फ्लोरीकल्चर अनुसंधान निदेशालय पुणे के निदेशक डॉ. केवी प्रसाद, अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान और फ्लोरीकल्चर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसआर धीमान के साथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी किसानों को संबोधित किया। इसके अलावा केवीके सोलन की तीन टीमों ने चायल के आसपास तुंडल, झझर और बडून गांवों का दौरा किया, जबकि एक अन्य टीम ने कुनिहार ब्लॉक के गांव को कवर किया गया। तीसरी टीम ने मान और लहराच गांवों का दौरा किया। शिमला जिले में केवीके शिमला और मशोबरा स्टेशन की टीमों ने चौपाल ब्लॉक में किसानों के खेतों का दौरा किया और केडी, रुसला और लालपानी के किसानों से बातचीत की। एक अन्य टीम ने कुपवी, धार चांदना और डाक गांवों का दौरा किया, जबकि मशोबरा की टीम ने नारकंडा ब्लॉक का दौरा किया। इन सभी क्षेत्रों में आउटरीच टीमों ने किसानों के साथ उनकी फसल से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए संवादात्मक सत्र आयोजित किए और कीट नियंत्रण और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों को साझा किया। किसानों को सलाह दी गई कि वे केवल विश्वविद्यालय और संबंधित विभागों द्वारा सुझाई गई वैज्ञानिक पद्धतियों का ही पालन करें। एक सप्ताह तक ये टीमें कृषि योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने और टिकाऊ और लाभदायक खेती पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए और अधिक से अधिक गांवों का दौरा करेंगी।

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