
हिमाचल प्रदेश के पांच टोल बैरियरों पर 15 जून से फास्टैग से शुल्क वसूला जाएगा। बिलासपुर, परवाणू, सिरमौर, नूरपुर और ऊना में स्थित टोल बैरियरों से इसकी शुरुआत होनी है। पहले चरण में फोरलेन से जुड़े टोल बैरियरों पर यह व्यवस्था लागू होगी। जिला बिलासपुर में घरमौडा, सोलन में परवाणू और टीपरा, सिरमौर में गोविंदघाट, आबकारी जिला नूरपुर में कंडवाल और ऊना में मैहतपुर बैरियर पर फास्टैग से वसूली की तैयार है। शेष बैरियर दूसरे चरण में कवर होंगे। टोल बैरियर लेने वाली कंपनियों ने फास्टैग से वसूली के लिए मशीनें स्थापित कर दी हैं। आठ जून से इसको लेकर ट्रायल शुरू होगा।
इस व्यवस्था के शुरू होने से बाहरी राज्यों के नंबर वाले वाहनों को नकद राशि देने के लिए लंबी लाइनों से लगने से छुटकारा मिल जाएगा। हिमाचल प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के पंजीकरण नंबर वाले वाहनों को सुव्यवस्थित भुगतान प्रक्रियाओं का लाभ देने के लिए इस व्यवस्था को शुरू किया जा रहा है। इससे नकद लेनदेन के लिए कतार में लगने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। यह कदम हिमाचल प्रदेश के परिवहन प्रबंधन में डिजिटल प्रगति को अपनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए उठाया जा रहा है।
इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण जंक्शनों पर यातायात प्रवाह को अनुकूलित करते हुए यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाना है। अभी टोल प्लाजा पर फास्टैग के माध्यम से शुल्क लिया जाता है। टोल बैरियरों पर नकद भुगतान की ही व्यवस्था है। इस कारण बैरियरों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। बाहरी राज्यों से प्रदेश में आने वाले लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने पुरानी व्यवस्था में बदलाव करने का फैसला लिया है। फास्टैग की व्यवस्था करने के लिए आने वाले खर्च को टोल बैरियर संचालक उठाएंगे। प्रदेश के तहत 55 टोल बैरियर आते हैं।
पहले चरण में फोरलेन से जुड़े पांच बैरियरों पर फास्टैग से प्रवेश शुल्क वसूली करने का फैसला लिया गया है। योजना की सफलता के बाद अन्य बैरियरों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। टोल बैरियरों पर विभिन्न श्रेणियों के वाहनों से लिया जाने वाला प्रवेश शुल्क 24 घंटे के लिए मान्य होता है। निजी वाहन चालकों से 60 रुपये शुल्क लिया जाता है। अन्य वाहनों का उनकी उपयोगिता के हिसाब से शुल्क तय किया गया है।