त्वचा पर दर्दनाक दाद, फफोले (रैशेज) और छाले यानी हर्पीस वायरस से अब घबराने की जरूरत नहीं हैं। इसके लिए देश में हर्पीस जूस्टर वैक्सीन तैयार हो गई है। यह वैक्सीन हर्पीस वायरस पर कारगर सिद्ध होगी। खास बात यह है कि बाजार में उतारने के लिए इस वैक्सीन के पांच सैंपलों को सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली ने हरी झंडी भी दे दी है। दावा किया जा रहा है कि यह वैक्सीन लगते ही व्यक्ति में एंटीबॉडी तैयार हो जाएगी और वायरस को कम कर देगी। यह त्वचा संबंधी संक्रमण है। वहीं वातावरण दूषित होना भी इस संक्रमण का एक बड़ा कारण है। हर्पीस जूस्टर वायरस के लक्षण वयस्कों में देखने को ज्यादा मिलते हैं। कई बार हाथों और मुंह पर ऐसे दाद, फफोले हो जाते हैं जिसमें दर्द रहता है। इसी तरह छाले भी पड़ जाते हैं। ये हर्पीस वायरस के कारण होते हैं। चर्म रोग विशेषज्ञ इस वायरस को लेकर दवाएं देते थे, लेकिन अब इस वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए आधुनिक वैक्सीन तैयार की गई है। यह दवा निजी कंपनी की ओर से बनाई गई है। सीडीएल कसौली ने हर्पीस जूस्टर वैक्सीन के पांच सैंपल मानकों पर सही उतरने के बाद पास कर दिए हैं। वहीं, अन्य सैंपल भी जांच के लिए प्रयोगशाला में आ रहे हैं। दो प्रकार का होता है वायरस
हर्पीस वायरस के दो प्रकार हैं। एचएसवी एक जिसे मौखिक हर्पीस के नाम से जाना जाता है। यह मुंह और होठों के आसपास की त्वचा को प्रभावित करता है। इसी तरह एचएसवी दो जिसे जननांग हर्पीस के नाम से जानते हैं। यह जननांगों या मलाशय के आसपास के क्षेत्र को प्रभावित करता है। दोनों ही लेवल में दर्द भरे दाद, फफोले और छाले देखने को मिलते हैं। इस वायरस के पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलने की भी संभावना रहती है। हर्पीस वायरस के लक्षण
-त्वचा पर जलन या खुजली होना
-जोड़ों में दर्द
-चेहरे पर पानी वाले दाने
-संक्रमण के कारण तेज बुखार होना