# एम्स बिलासपुर में नया विभाग दे रहा जोड़ों के दर्द से राहत, प्रदेश का पहला संस्थान बना|

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Health: New department in AIIMS Bilaspur is providing relief from joint pain, becoming the first institute in

 एम्स में हाल ही में नैदानिक प्रतिरक्षा एवं रिउम्याटोलोजी विभाग स्थापित किया गया है। एम्स प्रदेश का पहला संस्थान बन गया है जिसमें यह विभाग मौजूद है।

एम्स बिलासपुर में गठिया रोग के उपचार के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। एम्स में हाल ही में नैदानिक प्रतिरक्षा एवं रिउम्याटोलोजी विभाग स्थापित किया गया है। एम्स प्रदेश का पहला संस्थान बन गया है जिसमें यह विभाग मौजूद है। एम्स निदेशक डॉ. वीर सिंह नेगी की देख रेख में विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र बैरवा, डॉ. तरुण शर्मा और डॉ. सुभाष चंदर मरीजों को सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।

सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरुवार को कमरा संख्या 741 में विशेष गठिया ओपीडी चलाई जाती है। जिनकी बीमारी बहुत बढ़ी हुई है और सामान्य दवाओं से आराम नहीं आता उन्हें भर्ती करके हिम केयर और आयुष्मान भारत जैसी स्कीम से महंगे और कारगर इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जाते हैं। इसस संबंध में हेल्पलाइन नंबर 9317106008 पर अधिक जानकारी ली जा सकती है।


विशेषज्ञों के अनुसार, गठिया के मरीज जोड़ों की सूजन, दर्द, लालिमा और अकड़न से प्रभावित होते हैं। हाथों और पैरों के छोटे और बड़े जोड़ प्रभावित हो सकते हैं। अक्सर दर्द देर रात या सुबह के समय अधिक रहता है। गठिया वृद्ध और युवा दोनों वर्ग में हो सकता है। अपक्षयी आर्थराइटिस अधिकतर वृद्ध अवस्था में देखने को मिलता है। इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस युवा वर्ग में भी देखने को मिल सकता है। कई बार तो बच्चे भी इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस के शिकार हो सकते हैं। इलाज के शुरुआती दिनों में जोड़ों का दवा से ठीक किया जाता है।

एक बार दर्द कम हो जाने पर धीरे-धीरे जोड़ो की वर्जिश शुरू की जाती है। यदि वर्जिश करने से जोड़ों के दर्द बढ़ने लगे तो वर्जिश रोक देनी चाहिए। दवा खाते रहना चाहिए। जब दर्द कम हो जाए तो वर्जिश दोबारा शुरू करनी चाहिए।

सर्दियों में बढ़ते गठिया के दर्द और सूजन के निवारण के लिए क्या करें अभी तक के शोध से ये ज्ञात हुआ है कि सर्दियों में मांसपेशियों में अकड़न बढ़ जाती है। ऐसे में मरीज दवा नियमित रूप से लें। ठंड से बचाव करें। डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं को न रोकें। गर्म पानी के बैग से अपने जोड़ों की सिंकाई कर सकते हैं। दर्द कम होने पर जोड़ों की वर्जिश जारी रखें।

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