शीर्ष अदालत का मानना है कि हाईकोर्ट के आदेश का प्रभाव पूरी परियोजना को ठप करना था, जबकि राहत और पुनर्वास प्रक्रिया के संबंध में राज्य सरकार ने स्पष्ट आश्वासन दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को निलंबित कर दिया, जिसमें कांगड़ा जिले में गगल हवाईअड्डे की विस्तार परियोजना पर रोक लगा दी गई थी। शीर्ष अदालत का मानना है कि हाईकोर्ट के आदेश का प्रभाव पूरी परियोजना को ठप करना था, जबकि राहत और पुनर्वास प्रक्रिया के संबंध में राज्य सरकार ने स्पष्ट आश्वासन दिया है।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने राज्य के महाधिवक्ता के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए हाईकोर्ट के 9 जनवरी के आदेश पर रोक लगा दी कि विस्तार परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान किसी को भी बेदखल नहीं किया जाएगा और न ही इस दौरान कोई विध्वंस होगा।
राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि राज्य एक नए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन पर विचार कर रहा है और हाईकोर्ट के आदेश ने पूरी परियोजना को ठप कर दिया है। पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगले आदेश तक हाईकोर्ट की ओर से 9 जनवरी को जारी आदेश पर रोक रहेगी।
हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि यह रोक हाईकोर्ट को गुण-दोष के आधार पर रिट याचिका पर सुनवाई करने से नहीं रोकेगी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिकाकर्ता गगल हवाईअड्डा विस्तार प्रभावित समाज कल्याण समिति के वकील ने पीठ को बताया कि विस्तार परियोजना को पूरा करने के लिए राज्य को धन की आवश्यकता है। साथ ही यह भी एक तथ्य है कि यह एक भूकंपीय क्षेत्र है।अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे|