गांव की तस्वीर और ग्रामीणों की तकदीर बदलने का दूसरा नाम अगर जानना हो तो उसे साधारण शब्दों में मनरेगा कहेंगे. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना आज न सिर्फ विकास के लिहाज से गांवों की तस्वीर बदल रही है, बल्कि ग्रामीणों की तकदीर बदलने में भी कारगर साबित हो रही है.
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के धर्मपुर विकास खंड के तहत आने वाली ग्राम पंचायत टौर जाजर के सुंदल गांव की महिलाओं ने बताया कि इस योजना से जहां उनके गांव में विकास के कार्य हो पा रहे है. वहीं वे घर द्वार पर आजीविका कमाकर आत्मनिर्भर भी बन पा रही हैं.
सुबह-सुबह घर के काम निपटाने के बाद यह महिलाएं मरनेगा मजदूरी के लिए घर से थोड़ी दूरी पर चली जाती हैं और वहां पर दिहाड़ी लगाकर गांव के विकास के साथ-साथ अपनी आजीविका भी कमा लेती हैं. महिलाओं ने बताया कि आज उन्हें अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए पति के पास हाथ फैलाने की जरूरत नहीं रही, क्योंकि वे मनरेगा मजदूरी से इतनी सक्षम बन गई हैं कि अपने खर्च के साथ-साथ अपने परिवार का खर्च भी वहन कर लेती हैं. इस महत्वकांक्षी योजना के लिए इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार का आभार भी जताया है.
विकास खंड अधिकारी धर्मपुर डॉ. विवेक गुलेरिया ने बताया कि धर्मपुर विकास खंड में 25779 जाॅब कार्ड होल्डर हैं. चालू वित्त वर्ष (2023-24) में अभी तक मनरेगा के तहत 25 करोड़ 82 लाख की धनराशि खर्च की जा चुकी है और 7 लाख 55 हजार कार्यदिवस सृजित किए गए हैं. खर्च की गई धनराशि में से 19.44 करोड़ मजदूरी अदायगी पर जबकि 6.38 करोड़ मटेरियल पर खर्च किए गए हैं. धनराशि खर्च करने के मामले में अभी तक धर्मपुर पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर आंका जा रहा है.
धनराशि खर्च करने के मामले में अभी तक धर्मपुर पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर आंका जा रहा है.
बता दें कि मनरेगा के तहत आज न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है, बल्कि बहुत से विभागों के कार्य भी इसी योजना के तहत हो रहे हैं. इसका उद्देश्य सिर्फ इतना है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर दिए जा सकें. यही कारण है कि यह योजना आज ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर और ग्रामीणों की तकदीर बदलने में कारगर साबित हो पा रही है.