स्टील उद्योगों में स्क्रैप दिल्ली से आता है। पिछले पांच दिनों से किसान आंदोलन के चलते दिल्ली बंद है। इससे स्टील उद्योग संचालकों ने पीक ऑवर में अपने उद्योग बंद करने शुरू कर दिए हैं।
किसान आंदोलन का उद्योगों पर असर जारी है। उद्योगों में तैयार माल बाहर नहीं जा पा रहा है, वहीं कच्चे माल की आवक भी बंद हो गई है। आंदोलन का सबसे ज्यादा असर स्टील उद्योगों पर पड़ा है। स्टील उद्योगों में स्क्रैप दिल्ली से आता है। पिछले पांच दिनों से किसान आंदोलन के चलते दिल्ली बंद है।
इससे स्टील उद्योग संचालकों ने पीक ऑवर में अपने उद्योग बंद करने शुरू कर दिए हैं। प्रदेश के स्टील उद्योगों से बाहर माल नहीं जा रहा है। स्टोर करने में उद्योगों को नुकसान है। मार्केट गिर रही है और ऐसे में स्टोर करने से नुकसान होगा।
बीबीएन में शुरू में डेढ़ दर्जन स्टील उद्योग थे, इनमें से अब स्टील के 8 उद्योग रह गए हैं, जिसमें बरोटीवाला में जय ज्वाला, प्राइम स्टील, कुलंडल लोह उद्योग, मोंटेन स्टील, फ्रेंड्स एलॉज, रेडिएंट कास्टिंग, नालागढ़ में टिमको उद्योग व सिद्धि विनायक उद्योग हैं। किसान आंदोलन के चलते पंजाब व हरियाणा के शंभू बेरियर के अलावा अन्य कई स्थानों पर किसानों ने जाम किया है।
कोई भी ट्रक दिल्ली की ओर नहीं जा रहा है न ही वहां से कोई सामान बाहर निकल रहा है। स्टील उद्योगों को स्क्रैप दिल्ली से आता है और तैयार माल भी दिल्ली जाता है। ऐसे में न तो कच्चा माल आ रहा है और न ही तैयार माल जा रहा है। जिससे बीबीएन के उद्योगों में उत्पादन रूकने लगा है। शुरुआती दौर में स्टील उद्योगों ने शाम 6 से 10 बजे तक उद्योगों को बंद रखने का फैसला लिया है।
लघु उद्योग भारती के प्रदेश महासचिव संजीव शर्मा ने बताया कि किसान आंदोलन के चलते तैयार माल दिल्ली नहीं जा रहा है और बाहर से कच्चा माल भी नहीं आ रहा है। जिससे अब संचालकों के पास उद्योग बंद करने से सिवाय कोई चारा नहीं बचा है। रोज के खर्चे, कामगारों का वेतन, बैंक की देनदारी, बिजली की न्यूनतम चार्जेज यह सभी खर्चे देने पड़ रहे हैं।
वहीं कुंडलस लोह उद्योग के संचालक रिंकू सिंगला ने कहा तैयार माल न जाने से वह कच्चा माल न आने से स्टील उद्योग चलाने कठिन हो जाएंगे। अभी शुरू में चार घंटे उद्योग बंद करने शुरू कर दिए हैं। पंजाब के किसानों की यह मनमानी है। देश में अन्य राज्यों में भी किसान हैं, लेकिन पंजाब के किसानों को ही सबसे ज्यादा परेशानी है। यह एक राजनीति स्टंट है। लोह उद्योग भी सरकार को टैक्स देते हैं। इससे उनके साथ साथ सरकार को भी राजस्व में घाटा हो रहा है।