हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण युवाओं की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए कृषि में ड्रोन का इस्तेमाल एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। प्रदेश में विभाग ने चालू वर्ष में 250 हेक्टेयर भूमि पर ड्रोन के माध्यम से स्प्रे करने का डेमोंसट्रेशन देने का लक्ष्य रखा है। कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज सूद ने कहा कि प्रदेश में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से कृषि में ड्रोन तकनीक के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
इसको लेकर किसानों और युवाओं को आगे आकर ड्रोन तकनीक को उपयोग में लाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी दो कृषि विज्ञान केंद्र मंडी और सोलन को दो ड्रोन मुहैया कराए गए हैं। इस तकनीक के माध्यम से कृषि में मजदूरों की कमी, कम होते पानी के स्त्रोत और लागत का बढ़ना सहित अन्य समस्याओं से बखूबी निपटा जा सकता है। ड्रोन तकनीक से किसानों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा रहा है।
इसके अंतर्गत भारत और प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही 75 प्रतिशत सब्सिडी पर रजिस्टर्ड संस्था के माध्यम से ड्रोन खरीदा जा सकता है। कोई भी रजिस्टर्ड संस्था 2.50 लाख रुपए का निवेश कर 10 लाख का ड्रोन खरीद सकती है। पंकज सूद ने कहा कि इससे किसान अपने क्षेत्र में कृषि की लागत को कम करने अलावा अन्य क्षेत्रों में भी ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर अजीविका का साधन बना सकता है।
वहीं इफको हिमाचल प्रदेश के उप महाप्रबंधक भुवनेश पठानिया ने कहा कि ड्रोन तकनीक से किसान नैनो यूरिया और नैनो डीएपी उर्वरक की स्प्रे का सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक खेती में ड्रोन तकनीक का बहुत महत्व है। परंपरागत खाद पर भारत सरकार का सब्सिडी के तौर बहुत अधिक पैसा इस्तेमाल हो रहा है।
इस पैसे का सदुपयोग, पर्यावरण को बचाने तथा फसलों में यूरिया का कम से कम प्रयोग के लिए प्रदेश में ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अतिशीघ्र इफको पूरे प्रदेश में 13 ड्रोन देने जा रही है। प्रदेश में 3 ड्रोन पहुंच गए हैं और 10 ड्रोन और प्रदेश के अन्य जिलों में आने वाले हैं। किसान इनका उपयोग अपनी खेती के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे।