बिलासपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खुलने के बाद शरीर रचना विभाग ने देहदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया है। इस संबंध में विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुशांत स्वरूप दास ने महत्वपूर्ण जानकारी दी। कुछ सवालों के जवाब देकर देहदान का महत्व समझाया।
हिमाचल में लोग देहदान को लेकर जागरूक तो हो रहे हैं, लेकिन जागरूकता इतने बड़े स्तर पर नहीं हैं कि समाज का बड़ा तबका देहदान के लिए आगे आए। बिलासपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खुलने के बाद शरीर रचना विभाग ने देहदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया है। इस संबंध में विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुशांत स्वरूप दास ने महत्वपूर्ण जानकारी दी। कुछ सवालों के जवाब देकर देहदान का महत्व समझाया।
देहदान क्यों आवश्यक है?
समाज को कुशल चिकित्सक देने के लिए उनको मानव शरीर रचना का पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। जो मृत शरीर पर परीक्षण से ही संभव है। देहदान से मिले मृत शरीर पर परीक्षण से बेहतर रोगी देखभाल के लिए नई सर्जिकल और उपचार तकनीकों का विकास और अभ्यास भी होता है। इसके लिए देहदान अत्यंत आवश्यक है।
देहदान कौन कर सकता है?
कोई भी, जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो देहदान कर सकता है।
मृत्यु के उपरांत कितने समय के भीतर देहदान किया जा सकता है?
मृत्यु के उपरांत देहदान अधिकतम 16 घंटे के भीतर किया जा सकता है। यदि किसी कारणवश देरी हो जाए तो मृत देह को खराब होने से बचाने के लिए बर्फ में सुरक्षित रखें।
देहदान के लिए संकल्प पत्र भरने की क्या आवश्यकताएं हैं?
देहदान संकल्प पत्र, संकल्पकर्ता की 2 फोटो, स्वयं की फोटो पहचान पत्र की छायाप्रति, स्थायी निवास प्रमाण पत्र की छायाप्रति, दो गवाहों की सहमति, जो संकल्पकर्ता के निकटतम परिजन हों, गवाहों के फोटो पहचान पत्र और स्थायी निवास प्रमाण पत्र की छायाप्रति की आवश्यकता होती है।
देहदान के लिए संकल्प पत्र कहां से प्राप्त किया जा सकता है?
संकल्प पत्र एम्स बिलासपुर के शरीर रचना विभाग से प्राप्त किया जा सकता है।
आकस्मिक प्राकृतिक मृत्यु के बाद देहदान किया जा सकता है?
हां, एम्स बिलासपुर के शरीर रचना विभाग से संपर्क कर फार्म भरकर देहदान किया जा सकता है।
क्या नेत्र दान के उपरांत भी देहदान किया जा सकता है ?
हां, नेत्र दान के उपरांत भी देहदान किया जा सकता है।
देहदान पर नहीं आता कोई खर्च
देहदान करने में कितना खर्च आएगा। कई बार लोगों को इसकी भी जानकारी नहीं होती है और वो खर्च आने के कारण देहदान नहीं कर पाते हैं। देहदान के लिए न तो कोई शुल्क लिया जाता है और न ही कोई आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाता है।
किसका देहदान स्वीकार नहीं किया जाता है
एचआईवी/ एड्स से संक्रमित मृत्यु, हेपेटाइटिस बी एवं सी से संक्रमित मृत्यु, गंभीर संक्रमण से संक्रमित मृत्यु, एमएलसी केस,पोस्टमार्टम उपरांत एवं अंगदान (जैसे लीवर, किडनी आदि) उपरांत शव परीक्षण संभव नहीं हो पाता है। वे शव जो दुर्घटनाओं के कारण क्षत-विक्षत हो गए हैं।