# बायजू ने लूटे पूरे देश के बच्चे, अब अर्श से फर्श पर पहुंची कंपनी|

फकीरी से उठकर अमीरी की बुलंदियों की कहानियां तो आप सबने बहुत सुनी होंगी, लेकिन अर्श से फर्श पर आने की बायजू रविंद्रन की कहानी कई नई कंपनियों के लिए सबक है। ऑनलाइन शिक्षा के कई उत्पाद बेचने वाली बायजू कंपनी कोरोना काल में न केवल देश में बल्कि कई विदेशी शहरों में भी छा गई थी। बायजू कंपनी की वैल्यू उस समय 20 अरब डॉलर यानी करीबन 1 लाख 60 हजार करोड़ की हो गई थी और स्टार्टअप आकाश पर बायजू एक चमकते सितारे बन गए। सफलता के उस अर्श से आज बायजू केवल 20 करोड़ डॉलर यानी 1600 करोड़ के मूल्य पर रह गई है। कंपनी कर्ज के बोझ तले भी बुरी तरह से दबी है और कैश का संकट है।

और अब कंपनी के निवेशकों ने बैठक कर इसके फाउंडर बायजू रविंद्रन, उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ और उनके भाई रिजु रविंद्रन तीनों को ही कंपनी से निकाल दिया है। मामला अदालत में पहुंच चुका है। लेकिन जो पहले ही तय हो चुका था वो है बायजू कंपनी का धूमिल भविष्य। इस कंपनी में फाउंडर बायजू रविंद्रन और उनके परिवार की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

एकदम तेजी से आई सफलता उसी तेजी से बायजू से दूर भी होती गई, जब उनके उत्पाद और उन्हें बेचे जाने के तरीकों पर विवाद सामने आने लगे। बायजू के ग्राहकों ने छले जाने का आरोप लगाया तो कई कर्मचारी और कंपनी के टीचर भी शोषण का शिकार हुए। साबुन-तेल की तर्ज पर बच्चों को स्कूली शिक्षा के कोर्स बेचने वाली इस कंपनी ने मार्केटिंग के बल पर शुरुआती सफलता तो हासिल कर ली, लेकिन इनका उत्पाद पढ़ने वाले बच्चों की कोई वास्तविक मदद करने में नाकाम रहा। कोरोना के बाद ऑनलाइन पढ़ाई का चलन भी तेजी से घटा और उसका खामियाजा भी बायजू को भुगतना पड़ा।

कंपनी ने कोविड के दौरान तेजी से आगे बढ़ते हुए अमेरिका में भी अपना व्यवसाय खड़ा कर दिया था। उस दौरान फुटबॉल के विश्व कप को प्रायोजित करने के अलावा क्रिकेट टीम प्रायोजन सहित कई बड़ी इवेंट्स के प्रायोजक के तौर पर भी बायजू को देखा जा सकता था। लेकिन फिर गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों से भी विज्ञापन के बकाया को लेकर बायजूस का विवाद हो गया। वित्तीय गड़बडिय़ों की शिकायतें लगातार कंपनी में आने लगी। कर्मचारियों के पीएफ के पैसे में भी घपले का आरोप लगा। तेज ग्रोथ के लालच में कंपनी ने स्थापित नियमों को दरकिनार कर मनमर्जी से फैसले लिए और जमकर पैसा लुटाया। नतीजा साल 2001 में ही आना शुरू हो गया था, जब कंपनी अपने 8000 करोड़ के ऋण वापस करने में डिफॉल्ट हो गई।

नवंबर 2023 में तो स्थिति ये आ गई कि बायजू द्वारा अपनी निजी संपत्ति गिरवी रखकर कर्मचारियों के वेतन देने की बात सामने आई। सारे विवादों और आशंकाओं के बावजूद बायजू कंपनी 200 करोड़ डॉलर राइट्स इश्यू के जरिए जुटा कर वापसी करना चाह रही है। यहां यह साफ दिख रहा है कि बेशक जैसे-तैसे बायजू कंपनी के तौर पर टिकी रहे, लेकिन बुलंदियों का वो शिखर अब फिर कभी यह हासिल कर सकेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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