सामान्य तबादलों से प्रतिबंध हटाने के बाद नेताओं और कर्मचारियों में आपसी सहमति से तबादला करवाने की होड़ मची है। इसी बीच सरकार के पास ऐसे भी आवेदन आए हैं, जो फर्जी हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार के सामान्य तबादलों से प्रतिबंध हटाने के बाद नेताओं और कर्मचारियों में आपसी सहमति से तबादला करवाने की होड़ मची है। इसी बीच सरकार के पास ऐसे भी आवेदन आए हैं, जो फर्जी हैं। फर्जी हस्ताक्षर कर कई कर्मचारियों के तबादले हो रहे हैं। आपसी सहमति से तबादले को लेकर दोनों कर्मचारियों की रजामंदी होनी चाहिए। बाकायदा दोनों को लिखित में आवेदन करना होता है कि आपस में म्युचुअल तबादला कराना चाहते हैं। लेकिन कई नेता और कर्मचारी तबादले के लिए फर्जी हस्ताक्षर करके तबादले कराने में लगे हैं। इसका खुलासा उस समय हो रहा है, जब कर्मचारियों का तबादला हो जाता है। ऐसे में सरकार ने इस तरह के तबादलों पर रोक लगा दी है। पता करने को कहा है, ऐसा क्यों किया जा रहा है।
अब आपसी सहमति से तबादला करने वाले दोनों कर्मचारी मंत्री व सरकार के अधिकारी के पास मौजूद रहेंगे। इसमें दोनों कर्मचारियों को अपना प्रूफ देना होगा। इसके बाद कर्मचारियों का तबादला आदेश जारी होगा। तबादलों कराने में शिक्षक सबसे आगे हैं। पांच दिन के भीतर इनकी संख्या 500 के करीब बताई जा रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, पंचायतीराज विभाग, बिजली बोर्ड, सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के भी दर्जनों नोट जारी हो चुके हैं।
मंत्रियों के अलावा ओएसडी मुख्यमंत्री और प्रधान निजी सचिव के पास भी तबादलों के लिए आवेदन किए जा रहे हैं। करीब डेढ़ हजार आवेदन आए हैं। बड़ी बात यह है कि इन कर्मचारियों को यह पता रहता है कि कौन कर्मचारी, शिक्षक और डॉक्टर सेवानिवृत्त हो रहा है। ऐसे में यह सीट खाली हो रही है। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा कि यह भी पता चला है कि म्युचुअल तबादले के लिए फर्जी हस्ताक्षर वाले आवेदन भी आए हैं। इन्हें रद्द किया गया है।
आचार संहिता लगने पर तबादलों पर रहेगा पूर्ण प्रतिबंध
प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा पर आदर्श आचार संहिता के चलते तबादलों पर प्रतिबंध लग जाएगा। ऐसे में आजकल सचिवालय में तबादलों कराने वालों की भीड़ उमड़ी देखी जा सकती है।