इसमें दिखाया जाएगा कि 1875 में भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना कैसे हुई थी। उस जमाने में किस तरीके से मौसम की जांच की जाती थी। यह सैलानियों और स्थानीय लोगों के लिए भी खोला जाएगा।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से राजधानी में प्रदेश का पहला संग्रहालय बनाया जा रहा है। यह स्कैंडल प्वाइंट के समीप स्थित यंग वुमन क्रिश्चियन एसोसिएशन (वाईडब्लूसीए) के भवन की ऊपरी मंजिल में बनेगा। यहां पर फोटो गैलरी के माध्यम से मौसम विभाग का इतिहास बताया जाएगा। इसमें दिखाया जाएगा कि 1875 में भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना कैसे हुई थी। उस जमाने में किस तरीके से मौसम की जांच की जाती थी। यह सैलानियों और स्थानीय लोगों के लिए भी खोला जाएगा। इसमें विभाग के पहले मौसम विज्ञान संवाददाता हेनरी फ्रांसिस ब्लैनफर्ड और दूसरे संवाददाता रुचि राम साहनी सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ संवाददाताओं के कार्यों और उनसे जुड़ी यादों के बारे में बताया जाएगा।
मौसम विभाग में किस तरह से मौसम की जांच की जाती है। उसका भी एक मॉडल तैयार किया जाएगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि जहां पर संग्रहालय बनाया जाएगा, वहां पर सन् 1905 से 1906 तक भारत मौसम विभाग का कार्यालय होता था। वहीं 1906 से 1928 तक यह शिमला के सीटीओ में रहा। कच्ची घाटी में स्थित प्रिंटिंग प्रैस के कार्यालय में रोज मौसम रिपोर्ट तैयार की जाती थी। 1928 के बाद यह पुणे में और अंतत: नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया। शिमला में अब यादगार के तौर पर फोटो गैलरी बनाई जा रही है, जहां रोचक जानकारियां मिलेंगी।
ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम हर 15 मिनट में दिखाएगा मौसम का हाल
विभाग की ओर से बनाए जाने वाले इस संग्रहालय में फोटो गैलरी के अलावा एक ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम भी लगाया जाएगा। यह हर 15 मिनट बाद मॉल रोड सहित आसपास के क्षेत्रों का मौसम का हाल बताता रहेगा। इससे मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में समय पर उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी। प्रदेश भर में 27 ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम लगाए गए हैं। शिमला के बैमलोई के समीप सीपीआरआई के कार्यालय में भी यह लगाया गया है। ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम मौसम विज्ञानियों को वर्षा, तूफान या गंभीर मौसम के बारे में सचेत करेगा, जिससे सुरक्षा उपायों को पहले से ही अपनाने में मदद मिलेगी।