100 वर्षों बाद शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने आए देवता खुड्डी जहल के पास आज भी लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना सोने का वो छत्र मौजूद है, जिसे मंडी के राजा विजय सेन ने देवता को भेंट स्वरूप दिया था। देवता खुड्डी जहल के पास इसके अलावा राजा की तरफ से दी गई 6 चादरें और वाद्य यंत्र भाणा भी हैं। बताते हैं कि जब तक देवता को राजा द्वारा दी गई चादर नहीं बांधी जाती, तब तक देवता कहीं नहीं जाते। देवता के पुजारी रूपलाल शर्मा ने बताया कि रियासत काल में देवता खुड्डी जहल का राज परिवार के साथ विशेष लगाव था। राजा विजय सेन ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर सोने का छत्र, 6 चादरें और भाणा भेंट स्वरूप दिए थे।
हालांकि चादरें काफी पुरानी हो गई हैं, लेकिन जब तक उन्हें रथ के साथ न बांधा जाए, तब तक देवता कहीं नहीं जाते। देवता खुड्डी जहल को संतान प्राप्ति और सभी प्रकार के दुखों को हरने वाला देवता कहा जाता है।
बता दें कि देवता खुड्डी जहल का मूल स्थान कुल्लू जिला के आनी उपमंडल के तहत आने वाले देहुरी गांव में है। यह गांव मंडी और कुल्लू जिलों की सीमाओं पर स्थित है। रियासत काल में देवता मंडी में आते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से मंडी आना बंद कर दिया और बाद में जब जिलों का गठन हुआ तो देवता का मंदिर कुल्लू जिला में शामिल हो गया। देवता के कारदार खूब राम ने बताया कि इस बार देवता ने स्वयं आने का आदेश दिया था, जिसके बाद उन्हें यहां लाया गया है। भविष्य में देवता हर बार शिवरात्रि में आएंगे। उन्होंने बेहतरीन स्वागत और इंतजामों के लिए जिला प्रशासन, मेला समिति और देवता समिति का आभार भी जताया।
वहीं, 100 वर्षों बाद मंडी आए देवता खुड्डी जहल के दर्शनों के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। मंडी के लोग इसे अपना सौभाग्य मान रहे हैं कि 100 वर्षों बाद उन्हें देवता खुड्डी जहल के दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का मौका मिल रहा है।