# हिमाचल प्रदेश की बहनों के साथ धोखा या फिर चालाकी का दूसरा दौर:डॉ राजीव बिंदल

हिमाचल प्रदेश का 2022 का विधान सभा चुनाव आंखे खोल देने वाला है। हिमाचल की जनता पूर्व भाजपा सरकार से संतुष्ट थी और स्पष्ट था कि भाजपा ही दोबारा सत्ता में आएगी परन्तु कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने के लिए लोक लुभावने नारे लगाये और आनन-फानन में दस प्रकार की गारंटियां दे डाली व लम्बा चैड़ा घोषणा पत्र लिख डाला। इन गारंटियों के रचयिता व घोषणा पत्र के सम्पादक सभी ने केवल पैंतरा फैंका कि ‘‘लग गया तो तीर नहीं तो तुक्का’’।
कांग्रेस की ये गारंटियां पूर्व भाजपा सरकार के बेहतरीन कार्यों पर भारी पड़ गई और झूठी गारंटियों का तीर चल गया और सच्ची सेवा पिछड़ गई। सरकार कांग्रेस की बन गई, श्री सुखविन्द्र जी मुख्यमंत्री बन गए। अब भाजपा की आवाज बुलंद हो गई कि झूठी गारंटियां कहां गई और जनता में दिए गए कांग्रेसी नेताओं के बयान कि पहली कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरी और 5 लाख रोजगार मिलेंगे आदि-आदि। श्री सुखविन्द्र सुक्खू सरकार ने अपनी साख बिगड़ती देख विधान सभा में एक श्वेत पत्र रख दिया और कहा कि भाजपा की सरकार 70 हजार करोड़ का कर्जा छोड़ गई है, खजाना खाली है इसलिए गारंटियां पूरी नहीं की जा सकती।
श्वेत पत्र का सत्य भी जनता के सामने आ गया कि 70 हजार करोड़ रू0 में से 50 हजार करोड़ रू0 कांग्रेस पार्टी की सरकारों का है और फिर श्री सुखविन्द्र सिंह सरकार ने दनादन लोन लेना शुरू कर दिया और 15 महीनों की सरकार नेे 15 हजार करोड़ रू0 का लोन ले लिया। सरकार का यह पैंतरा भी फेल हो गया। भगवान भी नाराज हो गए और प्रदेश में अचानक आपदा आ गई। अब आपदा में जनता की सेवा करने की बजाए भाजपा को कोसना शुरू कर दिया कि केन्द्र सरकार पैसा नहीं दे रही है। वह झूठ भी जनता के सामने आ गया। केवल आपदा राहत में हजारों करोड़ रू0 व 21 हजार मकान प्रदेश सरकार को केन्द्र की मोदी सरकार ने दिए जिसका दुरूपयोग कांग्रेस सरकार कर रही है और भी खुलासा हो गया एक लाख करोड़ रू0 सड़कों के निर्माण का, मनरेगा का, सर्व शिक्षा अभियान का, वैलफेयर का, ग्रामीण सड़कों का, पेयजल का, सीवरेज का, शहरी एवं ग्रामीण विकास का, हजारों करोड़ रू0 प्रदेश को दनादन आ रहा है, यह जनता को मालूम हो गया और कांग्रेस सरकार बेनकाब हो गई।
प्रदेश सरकार द्वारा सभी विकास कार्य बंद कर दिए गए, खुले हुए संस्थान बंद कर दिए, जनता त्राहि माम-त्राहि माम करने लगी। परिणामस्वरूप 9 विधायक (6 कांग्रेस व 3 आजाद) ने सरकार की खिलाफत का बिगुल बजा दिया। देश के इतिहास में पहली बार हुआ कि 40$3 विधायकों की सरकार 68 में से 34 पर (अल्पमत) में आकर खड़ी हो गई। केवल 15 महीनो में अर्थात कांग्रेस का व सरकार का समूचा नेतृत्व बुरी तरह से फेल हो गया। अब कांग्रेस की खजूर पर लटकी सरकार को बचाने के लिए कैबिनेट के पद धड़ाधड़ बांटे जा रहे हैं। अब न कर्जा रहा है, न पैसे की कमी है, न गाडि़यों की, न बंगलों की। अब जैसे-तैसे करके सरकार बचानी है, यही एक मात्र कदम है।
महिलाओं को 1500 रू0 महीने देने वाली गारंटी का मामला खूब उछल गया और लोकसभा चुनाव भी आ गया तो फिर एक बार गारंटियों का पिटारा खोल दिया गया। खुल जा सिम-सिम-1500 रू0 के फाॅर्म बाहर आने लगे। बहनों ने फाॅर्म भरने शुरू कर दिए। पूरी शक्ति इस बात पर लगा दी गई है कि प्रदेश की 27 लाख मतदाता बहनों को येन केन प्रकरेण विश्वास दिला दिया जाये। कांग्रेस सरकार का केवल एक ही लक्ष्य शेष रह गया है कि लोकसभा चुनाव में दोबारा से प्रदेश की जनता को झूठे लुभावने वादों से ठगना और वोट लेना।

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