# पेंपा सेरिंग बोले-आर्थिक रूप से कमजोर होने से ही घुटनों पर आ सकता है चीन|

Penpa Sering said - China can come to its knees only due to economic weakness.

मैक्लोडगंज स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के मुख्यालय में पेंपा सेरिंग ने अमर उजाला से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि चीन लगभग हर क्षेत्र में बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है।

निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री (सिक्योंग) पेंपा सेरिंग के अनुसार चीन को युद्ध हिंसा की ताकत से नहीं हराया जा सकता। उसे घुटनों पर लाना है तो पहले आर्थिक तौर पर कमजोर करना जरूरी है। इसके लिए दुनिया को एकजुट होना होगा। उन्होंने मौजूदा तिब्बत या अन्य किसी देश से जुड़ी समस्या का हल चीन से बातचीत के जरिये निकलने की संभावना से भी इनकार किया। मैक्लोडगंज स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के मुख्यालय में पेंपा सेरिंग ने अमर उजाला से खास बातचीत की।

उन्होंने कहा कि चीन लगभग हर क्षेत्र में बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। व्यापार के नाम पर आ रहे अकूत धन का इस्तेमाल चीन ने खुद को तकनीकी, शोध और सुरक्षा आदि की दृष्टि से सुदृढ़ करने के लिए किया है। तानाशाही और विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाकर विश्व में दबदबा बनाना चाहता है। चीन के भीतरी हालात ठीक नहीं हैं। वहां सरकार, उसका सिस्टम और सेना सब आईवॉश है। चीन के लोग भी कम्युनिस्ट शासन से तंग आ चुके हैं। तिब्बत में चीन का हस्तक्षेप लगातार बढ़ रहा है। राहत की बात यह है कि अपनी तानाशाही नीतियों के चलते शी जिनपिंग का प्रभाव चीन में ही नहीं बाहर भी कम होता दिख रहा है। हम सतर्क हैं और उचित समय का इंतजार कर रहे हैं।

तिब्बत की नदियों से छेड़छाड़ पड़ोसी देशों के लिए खतरा
चीन तिब्बत से बहती नदियों से छेड़छाड़ कर पड़ोसी मुल्कों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। तिब्बत में बांध बनाकर वह जल संसाधन के विशाल स्रोत को नियंत्रण में लेना चाहता है। तिब्बत में गंगा की एक सहायक नदी पर नेपाल और भारत की सीमा के नजदीक चीन बांध बना रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि इस बांध का इस्तेमाल नीचे पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।

अमेरिकी सदन के कदम से बंधी उम्मीद
तिब्बत इश्यू पर दशकों के संघर्ष के बावजूद अभी तक यह स्थिति नहीं बन पाई है कि चीन जो बोलता या दिखाता है, उसे काउंटर करने के लिए कोई देश मजबूती से आगे आए। लेकिन, अमेरिका के एक कदम ने उम्मीद बंधा दी है। अमेरिकी सदन प्रतिनिधि सभा ने बहुमत से विधेयक पारित किया है, जिसका उद्देश्य तिब्बती नेताओं के साथ बातचीत के माध्यम से तिब्बत-चीन विवाद को हल करना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *