राज्य सरकार की कई योजनाएं केंद्र से मंजूर करवाने में नेता पूरी तरह से कामयाब नहीं हुए हैं।
हिमाचल में जल जीवन मिशन के तहत सौ फीसदी घरों में पानी की आपूर्ति के दावों की हकीकत धरातल पर वैसी नहीं है, जैसे कि दावे होते हैं। नेता दावा करते रहे हैं कि पीने के पानी की कहीं कमी नहीं है, पर जमीनी स्तर पर देखा जाए तो अभी बहुत कमियां हैं। कई जगह नलके तो पेयजल योजनाएं पुरानी ही हैं, ऐसे में उनमें पानी नहीं आता। राज्य सरकार की कई योजनाएं केंद्र से मंजूर करवाने में नेता पूरी तरह से कामयाब नहीं हुए हैं। जलापूर्ति के लिए जो मशीनरी लगी है, उससे पानी की आपूर्ति करने के लिए न तो पंप ऑपरेटर और अन्य स्टाफ की पर्याप्त नियुक्ति है और न ही विभागीय स्तर पर पूरी सजगता रह पाती है। सांसदों से भी जनता की बहुत उम्मीदें रही हैं, मगर उनके हस्तक्षेप की भी कमी नजर आती है।
केंद्र सरकार के पास वित्तपोषण के लिए फंसी कई योजनाएं समय पर मंजूर नहीं हो पाती हैं। कई योजनाएं नाबार्ड के वित्तपोषण के लिए भी भेजी जाती हैं, वे भी समय पर नहीं पहुंच पाती हैं। कई जगह ग्रामीणों की शिकायत है कि योजना के तहत पाइपों की खरीद तो हुई है लेकिन ये पूरी तरह से बिछ नहीं पाई हैं। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि बस्तियों तक उठाऊ पेयजल योजनाओं से ही पानी पहुंचाना पड़ता है। जल शक्ति विभाग की बहुत सी योजनाएं बजट न मिलने के कारण अधर में लटकी हुई हैं। कई योजनाएं नाबार्ड के तहत विधायक प्राथमिकता में बजट न मिलने से अधर में हैं। केंद्र सरकार से लंबित उठाऊ पेयजल और अन्य योजनाओं को आर्थिक मदद न मिलने और प्रदेश सरकार की ओर से कर्मचारियों की तैनाती न किए जाने से जल जीवन मिशन का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
2019 में शुरू हुआ मिशन
देश में 15 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए गए जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को घरेलू नल कनेक्शन देने का एलान किया गया है। केंद्र की इस योजना को राज्य सरकार को लागू करना है। हिमाचल में कुल 17.09 लाख ग्रामीण परिवारों में से 7.63 लाख परिवारों के पास योजना लागू होने से पहले ही घरेलू नल कनेक्शन लगे थे। शेष 9.46 लाख परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत शामिल किया गया और 100 फीसदी घरेलू नल कनेक्शन लगाने का लक्ष्य प्राप्त करने का दावा किया गया है।
पुश्तैनी गांव गए, लेकिन कहां से लाएं पीने का पानी
शिक्षा निदेशालय से अक्तूबर 2015 में बतौर अधीक्षक सेवानिवृत्त होने के बाद तारादत्त शर्मा अपने पुश्तैनी गांव ठियोग के सांबर में बस गए हैं। जल जीवन मिशन के तहत उनके घर पर न तो नल लगा, न पानी मिला। बीते साल बरसात में आपदा से इलाके को पेयजल सप्लाई करने वाली पुरानी योजना की लाइन भी टूट गई, जो अभी तक नहीं जुड़ पाई। रबड़ की पाइपें जोड़ कर जुगाड़ चलाया जा रहा है, जिसमें जगह-जगह लीकेज हो रही है। आलम यह है कि दो हफ्ते में एक बार पानी आता है, वह भी पड़ोस के घर से भरना पड़ता है।
पूर्व भाजपा सरकार के समय व्यापक भ्रष्टाचार हुआ
जल जीवन मिशन में भाजपा सरकार के समय भ्रष्टाचार हुआ और योजना को लागू करने में अनियमितताएं बरती गईं। जरूरत से अधिक पाइपें खरीदने का मामला सुर्खियों में रहा। पानी इंसान की बुनियादी जरूरत है। इसलिए कांग्रेस सरकार प्रदेश के ऐसे क्षेत्रों का सर्वे कर रही है, जहां जल जीवन मिशन के तहत नल नहीं लगे और पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हुई। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही सरकार केंद्र को योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रस्ताव भेजेगी। -देवेंद्र बुशैहरी, प्रदेश महासचिव, कांग्रेस
क्रियान्वयन में कमी है तो मौजूदा सरकार जिम्मेदार
पूर्व भाजपा सरकार के समय प्रदेश के सभी 17,08,717 घरों को जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन की सुविधा से जोड़ दिया गया था। न सिर्फ घरों को बल्कि स्कूलों को भी मिशन के तहत नल सुविधा से जोड़ा गया। योजना के क्रियान्वयन में यदि कोई कमी रही है तो उसके लिए मौजूदा सरकार जिम्मेदार है। भाजपा सरकार के समय आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ने 1400 करोड़ की राशि मांगी थी जो केंद्रीय आईपीएच मंत्री प्रह्लाद पटेल ने तुरंत जारी कर दी। – करण नंदा, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा