# हिमाचल में पहले लोकसभा चुनाव में राजा आनंद चंद एकमात्र निर्दलीय सांसद रहे, जो चुने गए निर्विरोध|

Flashback: Raja Anand Chand was the only independent MP in the first Lok Sabha elections in Himachal, who was

पहले चुनाव में 37 आजाद प्रत्याशी सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उस समय बिलासपुर सी दर्जे का प्रदेश हुआ करता था। बिलासपुर की अलग लोकसभा सीट थी। 

वर्ष 1951-52 में हुए पहली लोकसभा के चुनाव में बिलासपुर सीट से कोट कहलूर के राजा आनंद चंद के नाम अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। वे देश के एकमात्र निर्दलीय सांसद थे, जो निर्विरोध चुनकर संसद में पहुंचे। हालांकि पहले चुनाव में 37 आजाद प्रत्याशी सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उस समय बिलासपुर सी दर्जे का प्रदेश हुआ करता था। बिलासपुर की अलग लोकसभा सीट थी। राजा आनंद चंद ने निर्दलीय नामांकन भरा था। राजा के मुकाबले में कांग्रेस ने बाबू हरदयाल सिंह को उम्मीदवार खड़ा किया था। बाबू हरदयाल बिलासपुर के पहले लॉ ग्रेजुएट के साथ कहलूर रियासत के वजीर भी रह चुके थे।

बिलासपुर के साहित्यकार और जाने माने लेखक कुलदीप चंदेल बताते हैं कि हरदयाल ने बाद में नामांकन वापस ले लिया। इसके दो कारण थे-एक तो उनके मुकाबले में राजा का खड़ा होना। राजा लोगों से नजदीकी से जुड़े हुए थे। दूसरा, आर्थिक रूप से भी वह इस चुनाव के लिए तैयार नहीं थे, पार्टी ने उन्हें कोई पैसा नहीं दिया था। उन्होंने कांग्रेस हाई कमान को सारी रिपोर्ट भेजी थी और यह भी बताया कि कांग्रेस के कुछ लोग उनका साथ नहीं दे रहे हैं। जब हरदयाल ने नाम वापस लिया तो उनके कवरिंग उम्मीदवार पूर्व न्यायाधीश भंडारी रामलाल ने भी अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया। इसके बाद राजा आनंद चंद निर्विरोध जीत गए। 

नेहरू से कहा था- आई डोंट थिंक योर कांग्रेस पीपल कुड बी सो करप्ट
बिलासपुर के इतिहास के जानकार शक्ति सिंह चंदेल ने अपनी किताब कहलूर बिलासपुर थ्रू द सेंचरीज में लिखा है कि एक रैली में गुलजारी लाल नंदा (जो बाद में दो बार कार्यकारी प्रधानमंत्री भी रहे) ने राजा आनंद चंद का जवाहरलाल नेहरू से परिचय करवाते हुए कहा था कि ये निर्विरोध सांसद चुने गए हैं। इस पर नेहरू बेहद गुस्से हुए और उन्होंने नंदा से कहा कि इस आदमी ने रिश्वत देकर कांग्रेस उम्मीदवार को मैदान से हटाया और चुनाव जीता है। इस पर राजा आनंद चंद ने अंग्रेजी में जवाब देते हुए कहा था कि नो पंडित जी,आई डोंट थिंक योर कांग्रेस पीपल कुड बि सो करप्ट।

कौन थे आनंद चंद
आनंद चंद कोट कहलूर रियासत के 44वें राजा थे। उन्होंने आजाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। उस समय रियासत में 68,130 वोटर थे। लेकिन राजा के सामने चुनाव में कोई नहीं था और उन्हें निर्विरोध चुने गए।  1954 तक वे सांसद रहे। 1 जुलाई 1954 को बिलासपुर का हिमाचल प्रदेश में विलय हो गया। बिलासपुर को हिमाचल का जिला घोषित किया गया। आनंद चंद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। सांसद के अलावा राजा आनंद चंद विधायक और राज्यसभा सदस्य भी रहे। उन्होंने राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व भी किया। 

कांग्रेस ने राजा के खिलाफ दायर की थी चुनाव याचिका
कांग्रेस ने उम्मीदवार की नाम वापसी की बात को अपना अपमान समझा और राजा के खिलाफ चुनाव याचिका दायर कर दी। इसमें आरोप लगाया कि राजा ने बाबू हरदयाल और भंडारी रामलाल को नाम वापस लेने के लिए पैसे दिए हैं। जिला अदालत में हुई सुनवाई के लिए राजा ने हरिश्चंद्र आनंद को अपना वकील नियुक्त किया। बाद में याचिका का फैसला राजा के हक में रहा।

हरदयाल के नौकर ने दिए थे राजा को कागजात
शक्ति सिंह चंदेल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि बाबू हरदयाल के नौकर गंगाराम ने राजा आनंद चंद को कागजात का एक बंडल सौंपा था। जब राजा ने उस बंडल को खोला,कागजात देखे तो वे हैरान रह गए। इसमें समय-समय पर क्या हुआ, वह सब लिखित में था। जो कुछ कागजात-पत्र आदि राजा के खिलाफ कांग्रेस हाई कमान और सरदार वल्लभ भाई पटेल को भेजे गए थे।  बताया जाता है कि उन पर दौलतराम संख्यान के हस्ताक्षर थे। यह दस्तावेज राजा के खिलाफ जो याचिका हुई थी, उसका भाग्य बदलने में अहम साबित हुए।

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