संघ लोक सेवा आयोग ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का अंतिम परिणाम जारी कर दिया है, जिसमें हमीरपुर स्थित आईपीएच विभाग में एसडीओ पद पर कार्यरत 27 वर्षीय विनय कुमार ने ऑल इंडिया में 824वां रैंक प्राप्त किया। विनय की इस उपलब्धि पर उनके परिवार में खुशी का माहौल है और माता-पिता ने मिठाई खिलाकर उन्हें बधाई दी। परिजनों ने कहा कि बेटे ने देश व प्रदेश में परिवार का नाम रोशन किया है।
गौरतलब है कि विनय कुमार का परिवार मूल रूप से जिला बिलासपुर के घुमारवीं स्थित पदोड़ी गांव से ताल्लुक रखता है, लेकिन अब वे हमीरपुर के अणु स्थित सियूणी गांव में रहते हैं। विनय का यह चौथा अटेंप्ट था। पहली बार उन्होंने 2020 में यूपीएससी का एग्जाम दिया था। विनय ने 2023 में यूपीएससी का एग्जाम दिया था, जिसका रिजल्ट दिसंबर में निकला था। उसके बाद फरवरी में उनका साक्षात्कार हुआ और फाइनल रिजल्ट में उनका 824वां रैंक आया है।
विनय के पिता जेआर भारद्वाज कांगड़ा के जयसिंहपुर स्थित तलवाड़ पोलिटेक्निक कॉलेज से बतौर एचओडी सेवानिवृत्त हुए हैं। उनकी माता आशा कुमारी कुठेड़ा स्कूल में हिंदी की लेक्चरर हैं। एक बड़ी बहन है जो कि पॉलिटेक्निक कॉलेज हमीरपुर में सिविल इंजीनियरिंग की लेक्चरर हैं। विनय ने जमा दो की परीक्षा में प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया था, वहीं एनआईटी हमीरपुर से 2013 से 2017 तक सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक में भी विनय ने सिल्वर मेडल हासिल किया। उसके बाद पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से उन्होंने एमटेक में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
विनय ने बताया कि 2019 से उन्होंने यूपीएससी का तैयारी शुरू कर दी थी। इस बीच फरवरी 2023 में आईपीएच डिपार्टमेंट में बतौर एसडीओ उनकी नियुक्ति हो गई। इसके साथ-साथ वे यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे और परीक्षा भी दे रहे थे। एग्जाम की तैयारी पर विनय ने बताया कि जब उनकी जॉब नहीं लगी थी, तो वे सुबह से शाम तक लगातार पढ़ाई करते थे। बीच में केवल लंच आदि के लिए हल्का ब्रेक लेते थे। लेकिन जब उनकी आईपीएच में जॉब लगी तो शाम को पांच बजे ऑफिस से आने के बाद डिनर से पहले और बाद में करीब पांच घंटे की रोजाना पढ़ाई करते थे। बैडमिंटन खेलने के अलावा जिम में वर्कआउट का शौक भी रखते हैं, इसलिए सुबह ज्यादा समय नहीं दे पाते थे।
विनय के पिता जेआर भारद्वाज ने कहा कि उन्हें बेटे की उपलब्धि पर गर्व महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि विनय हमेशा से ही कड़ी मेहनत करने पर विश्वास रखता था और शुरू से ही गलत संगति से दूर रहता था।
अपने पुत्र की उपलब्धि पर विनय की माता आशा कुमारी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और उन्होंने कहा कि बेटे की इस उपलब्धि पर उन्हें गर्व है। बेटे ने इसकी सूचना उन्हें फोन पर दी, जिस समय वह अपने स्कूल में थी।