कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में पहली बार कांग्रेस और भाजपा से ब्राह्मण समुदाय के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। दोनों दलों ने नए चेहरों पर दांव खेला है।
लोकसभा चुनाव में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में पहली बार कांग्रेस और भाजपा से ब्राह्मण समुदाय के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। दोनों दलों ने नए चेहरों पर दांव खेला है। ब्राह्मणों के वोटों का ध्रुवीकरण रोकने पर जोर रहेगा तो यहां पर ओबीसी और गद्दी वोट प्रत्याशियों के भविष्य पर फैसला करेंगे। दोनों पार्टियों का संसदीय क्षेत्र में कैडर मजबूत है, मगर पिछले तीन चुनाव में भाजपा यहां से हैट्रिक लगा चुकी है। अब ओबीसी और गद्दी वोट प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला लेंगे। दोनों पार्टियों की नजरें इनके वोटों पर हैं। भाजपा पहले ही राजीव भारद्वाज को चुनाव मैदान में उतार चुकी है। वहीं कांग्रेस ने मंगलवार को आनंद शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा। इस सीट पर चुनावी मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है।
कांगड़ा क्षेत्र को हमेशा से ही जातीय समीकरण के आधार पर ही देखा जाता रहा है। यहां सामान्य वर्ग के करीब 25, ओबीसी वर्ग के 27, एससी वर्ग के 18 और एसटी वर्ग के 30 फीसदी मतदाता हैं। चंबा के चार विस क्षेत्रों और कांगड़ा ससंदीय क्षेत्र में गद्दी समुदाय के मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस संसदीय क्षेत्र के बाजारों में ही 18 जातियों के लोग रहते हैं। कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा हलके आते हैं। इनमें कांगड़ा, डलहौजी, नूरपुर, ज्वाली, फतेहपुर, नगरोटा, शाहपुर, बैजनाथ, पालमपुर और धर्मशाला आदि शहरी क्षेत्र हैं। संसदीय क्षेत्र में करीब 13.5 लाख के करीब मतदाता हैं। इनमें 4.5 लाख करीब गद्दी समुदाय के वोटर हैं। विज्ञापन
पांच बार ब्राह्मण, तीन बार राजपूतों का रहा राज
1971 के बाद हुए चुनावों की बात करें तो इस सीट पर पांच बार ब्राह्मण, तीन बार राजपूत, तीन बार महाजन, एक बार ओबीसी और एक बार गद्दी समुदाय के नेता सांसद बने। ब्राह्मणों में चार बार शांता कुमार, एक बार राजन सुशांत, राजपूतों में एक बार कंवर दुर्गा चंद, एक बार चंद्रेश कुमारी और एक बार डीडी खनूरिया सांसद बने। महाजनों में दो बार विक्रम चंद महाजन और एक बार सत महाजन सांसद बने। ओबीसी से केवल एक बार चंद्र कुमार चौधरी और गद्दी समुदाय से केवल एक बार किशन कपूर सांसद बने।
मंडी के बाद अब कांगड़ा संसदीय सीट पर टिकी देश भर की नजरें
हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र के बाद अब कांगड़ा सीट भी देश भर में चर्चा का विषय बन गई है। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को कांगड़ा से प्रत्याशी बनाकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। बालीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत और लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह की बयानबाजी से मंडी सीट पहले से देशभर में चर्चित थी। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा की कांगड़ा में एंट्री से चुनावी पारा और चढ़ गया है। भारतीय राजनीति में आनंद शर्मा की एक अलग पहचान हैं। विश्व स्तरीय मुद्दाें पर बेबाकी से राय देने के लिए आनंद शर्मा जाने जाते हैं। अब पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने जा रहे आनंद शर्मा किस प्रकार से मतदाताओं को रिझाते हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
वर्तमान में गद्दी समुदाय के सांसद हैं किशन कपूर
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के किशन कपूर ने कांगड़ा से जीत हासिल की थी। उन्हें 7,25,218 वोट मिले थे। उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के पवन काजल को केवल 2,47,595 वोट ही मिले थे। 2014 में भी बीजेपी के प्रत्याशी शांता कुमार ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के चंद्र कुमार को 2,86,091 वोट से हराया था। शांता को 4,56,163 वोट मिले थे। चंद्र कुमार को केवल 2,86,091 वोट ही मिले थे।