# मौसम ने डराए बागवान, लगातार दूसरे साल सेब की फसल पर संकट…

Weather scares growers, apple crop in trouble for second consecutive year

 प्रदेश के बागवानों को एक बार फिर चिंता में डाल दिया है। जलवायु परिवर्तन की मार से लगातार दूसरे साल प्रदेश में सेब की फसल प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है। 

मौसम के रुख ने हिमाचल प्रदेश के बागवानों को एक बार फिर चिंता में डाल दिया है। जलवायु परिवर्तन की मार से लगातार दूसरे साल प्रदेश में सेब की फसल प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है।

बागवानों के अलावा सेब कारोबार से जुड़े आढ़ती, खरीदार, ट्रांसपोर्टर और सीए स्टोर संचालक भी असमंजस में हैं। बीते साल सेब बगीचों में असामायिक पतझड़ ने बागवानों को परेशानी में डाला था। कोल्ड स्टोर में रखे सेब को सही दाम न मिलने से बागवानों और कारोबारियों को नुकसान हुआ। इस साल पर्याप्त बर्फबारी न होने से सीजन को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

सेब उत्पादक क्षेत्रों के निचले इलाकों में फ्रूट सेटिंग हो चुकी है और फसल बेहद कम है। मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फसल मिली-जुली है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अभी फसल को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। जलवायु परिवर्तन से साल दर साल हिमाचल में सेब उत्पादन में गिरावट आ रही है। दिसंबर में होने वाली बर्फबारी अब जनवरी के बाद हो रही है।

धूलभरी आंधी चलने और धूल वाली बारिश से सेब की फ्लावरिंग प्रभावित हुई है। अप्रैल के बाद मई के महीने में भी बारिश-बर्फबारी का दौर चल रहा है। तापमान में उतार-चढ़ाव से फसल को नुकसान हो रहा है।  बीते साल प्राकृतिक आपदा के चलते प्रदेश में सेब की फसल को नुकसान हुआ था। सेब की गुणवत्ता खराब होने से बागवानों की लागत भी नहीं निकल पाई थी। 

जलवायु परिवर्तन का पड़ने लगा है असर
जलवायु परिवर्तन से साल दर साल सेब उत्पादन प्रभावित हो रहा है। बर्फ गिरने का समय एक महीना आगे बढ़ गया है। सेब बेल्ट भी 1000 फीट ऊपर खिसक गई है। बीते सीजन की तरह इस बार भी फसल को लेकर असमंजस है। फसल संतोषजनक नहीं है। जलवायु परिवर्तन से नुकसान को लेकर कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों को आईएमडी के साथ मिलकर स्टडी करनी चाहिए।

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