# कैथलीघाट-ढली फोरलेन पर 1100 मीटर लंबे पुल का निर्माण कार्य शुरू…

Construction work of 1100 meter long bridge starts on Kaithlighat to Dhali four lane.

पुल का निर्माण मैहली के नीचे राजधानी से सटे पुजारली गांव में अश्वनी खड्ड के ऊपर किया जा रहा है। पुल के निर्माण के लिए वन विभाग ने पेड़ कटवाने का काम पूरा कर लिया है। 

कैथलीघाट से ढली तक फोरलेन का काम युद्धस्तर पर चला है। 3,970 करोड़ रुपये की परियोजना के अंर्तगत फेज-2 में राजधानी शिमला के पास 1100 मीटर लंबे पुल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। यह पुल जमीन से 600 मीटर ऊंचा बन रहा है। यह पुल शोघी-तारादेवी की ओर से आ रही फेज-1 फोरलेन सड़क को फेज-2 ढली-शकराला से जोड़ेगा। पुल का निर्माण मैहली के नीचे राजधानी से सटे पुजारली गांव में अश्वनी खड्ड के ऊपर किया जा रहा है। पुल के निर्माण के लिए वन विभाग ने पेड़ कटवाने का काम पूरा कर लिया है। 

वहीं, हजारों मजदूर और मशीनें निर्माण कार्य में लगी हैं। अभी पुल निर्माण के लिए नींव बनाने का काम किया जा रहा है। अभी पुल के लिए जमीन की खोदाई का काम चला हुआ है। इसके बाद पाइपें डाली जाएंगी। उसके बाद पुल के लिए पिल्लर बनाने का काम शुरू किया जाएगा। 2026 तक ढली से कैथलीघाट तक फोरलेन का काम पूरा करने का लक्ष्य है। 

कालका से शिमला तक इस प्रोजेक्ट का तीन चरणों में कार्य हो रहा है। पहले चरण में कालका-पिंजौर, दूसरे चरण में पिंजौर से कैथलीघाट तक कार्य किया गया है। तीसरे चरण में कैथलीघाट से ढली मशोबरा जंक्शन तक निर्माण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। फोरलेन का निर्माण होने के बाद शिमला से चंडीगढ़ पहुंचना काफी आसान हो जाएगा।

एनएचएआई कैथलीघाट से ढली-मशोबरा जंक्शन तक के दो पैकेज में 30.96 हेक्टेयर भूमि पर फोरलेन का निर्माण कर रहा है। पहले पैकेज कैथलीघाट से शकराला गांव तक फोरलेन की लंबाई 17.5 किमी है। इसमें लगभग 1844.77 करोड़ रुपये की लागत से 20 पुल, दो टनल, 1 अंडरपास, 53 कलवर्ट, 1 प्रमुख जंक्शन, 2 अल्प जंक्शन, 1 टोल प्लाजा बनाने का कार्य किया जा रहा है। दूसरे पैकेज में शकराला गांव से ढली-मशोबरा जंक्शन तक के 10.985 किमी लंबे फोरलेन पर 2070 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें 7 पुल, 3 टनल, 29 कलवर्ट, 3 प्रमुख जंक्शन और एक अल्प जंक्शन बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है।

निर्माण कार्य के दौरान उड़ती धूल को रोकने के लिए सभी निर्माण स्थलों पर लगातार टैंकरों से पानी फेंका जा रहा है।  पानी छिड़कने से आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों के खेतों में धूल नहीं जा रही है और लोगों की फसलें बर्बाद नहीं हो रही हैं। लोगों ने धूल उड़ने की समस्या प्रशासन के सामने उठाई थी। इसके बाद एनएचएआई ने दोनों कंपनियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। 

गर्मियों में दोनों कंपनियों को कार्य में तेजी लाने के आदेश दिए हैं। बरसात में काम करने में परेशानी होती है और भूस्खलन का अंदेशा रहता है। इसके लिए अभी भूमि स्थिरीकरण का कार्य किया जा रहा है। 

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