हाईकोर्ट विधायकों की उस अर्जी को कोर्ट ने खारिज किया, जिसमें तीनों निर्दलीय ने कोर्ट द्वारा ही इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया था।
हिमाचल के तीन निर्दलीय विधायकों को फिलहाल हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। इनकी याचिका पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया है। निर्दलियों विधायकों की उस अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज किया, जिसमें कोर्ट द्वारा ही इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया था। कहा कि हाईकोर्ट इस याचिका को स्वीकार नहीं कर सकता। यह विधानसभा अध्यक्ष का क्षेत्राधिकार है।
यह मामला मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले को सुना। वहीं, दूसरी तरफ इस्तीफा मंजूर करने को लेकर दोनों जजों के अलग-अलग मत हैं, जिस पर अब मामले को तीसरे जज की राय के लिए रेफर किया जा सकता है। इसके बाद ही फैसला हो पाएगा। हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने फैसले की जानकारी दी।
बताया कि कोई का फैसला सार्वजनिक होने के बाद ही इस पर मामले में स्थिति और स्पष्ट होगी। उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे को लेकर मुख्य न्यायाधीश एमएस राम चंद्र राव का और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ के अलग-अलग मत हैं, ऐसी स्थिति में अब मामले को लेकर तीसरे जज की राय पर फैसला निर्भर करता है।
मामले को लेकर न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ का मत था कि हाईकोर्ट स्पीकर को जल्द फैसला सुनाने के लिए निर्देश दे सकता है जबकि मुख्य न्यायाधीश एमएस राम चंद्र राव का कहना था कि विधानसभा अध्यक्ष का पद सांविधानिक है। ऐसे में हाईकोर्ट किसी भी प्रकार किसी सांविधानिक संस्था को निर्देश नहीं दे सकता कि इस्तीफा कैसे स्वीकार करे। ऐसे में अगर मामला तीसरे जज के पास जाता है तो उन्हें नए सीरे से पूरा मामला सुनना पड़ेगा। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें