हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की सैंज घाटी की 15 पंचायतों के केंद्र सैंज बाजार को बाढ़ ने उजाड़ कर रख दिया है। 100 साल पूर्व बसे सैंज बाजार का 40 फीसदी हिस्सा पूरी तरह से तबाह हो गया है। 52 घर और दुकानें तिनके की तरह बह गए। घर के साथ इनका कारोबार भी छिन गया है। बीते 10 जुलाई को पिन पार्वती नदी में आई बाढ़ में देखते ही देखते बड़े-बड़े भवन ताश के पतों की तरह ढह कर बह गए।
यहां तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं थी। सबसे पहले सैंज में कांगड़ा से व्यापारी आए थे और सामान की एवज में अनाज या जड़ी-बूटियां दिया करते थे। बढ़ती व्यापारिक गतिविधियां देख धीरे-धीरे आसपास के ग्रामीणों ने भी सैंज की तरफ अपना रुख कर लिया। सैंज की बस्ती ने कस्बे का रूप धारण कर लिया।
1995 में इसे उप तहसील का दर्जा मिला। वर्ष 2000 में सैंज में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी पार्वती जल विद्युत परियोजना आई। देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में सड़कों के जाल बिछ गए। तहसीलदार सैंज हीरा चंद नलवा ने बताया कि अभी तक सैंज बाजार के 52 प्रभावितों सहित 75 लोगों को एक-एक लाख रुपये की फौरी राहत राशि दे दी है।
आपदा से कुल नुकसान का आकलन अभी किया जा रहा है। राजकुमार ने कहा कि वह सैंज में 50 सालों से कारोबार कर रहे हैं। उनका सैंज बाजार में चार मंजिलों का आठ कमरों का मकान था। इसके साथ उनकी हार्डवेयर की दुकान भी थी। एक करोड़ रुपये के घर के साथ करोड़ों का सामान देखते ही देखते नदी में बह गया।
प्रभावित तीर्थ राम ने कहा कि उनका पांच मंजिल के भवन में 30 कमरे थे। करोड़ों रुपये का मकान नदी में समा गया। इस त्रासदी ने ताउम्र को जख्म दे दिया है। नदी सैंज बाजार का 40 फीसदी हिस्सा बहाकर ले गई है। पीड़ित निर्मला अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने एक-एक पैसा जोड़कर सैंज बाजार में तीन मंजिला घर बनाया था। 10 जुलाई को पिन पार्वती सैंज नदी के रौद्र रूप ने सब कुछ तबाह कर दिया। कहा कि बाढ़ ने सैंज बाजार का नक्शा ही बदल दिया है।