स्मार्ट ई-साइकिल बैटरी और मोटर की मदद से स्कूटी का काम भी करेगी। साइकिल को चलाने वाले को हाथ की कलाई पर एक बैंड पहनना होगा।
एनआईटी हमीरपुर के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के बीटेक अंतिम वर्ष के प्रशिक्षुओं ने हृदय गति पर आधारित स्मार्ट ई-साइकिल का निर्माण किया है। दिल की धड़कन बढ़ते ही स्मार्ट ई-साइकिल स्कूटी की तर्ज पर काम करेगी। धड़कन प्रति मिनट 100 से पार होते ही साइकिल को अलग से बैटरी से पावर मिलना शुरू होगी और पैडल ऑटोमेटिक चलने लगेंगे। स्मार्ट ई-साइकिल बैटरी और मोटर की मदद से स्कूटी का काम भी करेगी। साइकिल को चलाने वाले को हाथ की कलाई पर एक बैंड पहनना होगा। बैंड में हृदय रेट सेंसर लगा होगा, जोकि आरडीनो के जरिए बैटरी को चालू कर मोटर के माध्यम से पहियों को घुमाना शुरू कर देगा। आरडीनो एक डिवाइस है जोकि डाटा को प्रोसेस करके आउटपुट देता है।
सेंसर से संदेश मिलते ही आरडीनो बैटरी को शुरू करेगा और इलेक्ट्रिक मोटर साइकिल को चलाना शुरू कर देगी। बैटरी से चलने वाली साइकिल हृदय गति सामान्य होते ही फिर से साइकिल की तरह चलने लगेगी। साइकिल की लागत 20 से 25 हजार के बीच है। सहायक प्रोफेसर डॉ. दिलशाद अहमद खां के मार्गदर्शन में यश पंथरी, अंजलि ठाकुर, अनुपमा, कर्तव्य चंदेल ने हृदय गति पर आधारित स्मार्ट ई-साइकिल तैयार की है। डॉ. दिलशाद ने बताया कि जल्दी ही साइकिल का पेटेंट फाइल करेंगे। एनआईटी हमीरपुर के निदेशक प्रो. एचएम सूर्यवंशी, रजिस्ट्रार डॉ. अर्चना संतोष नानोटी, डीन प्रो. राकेश सहगल ने छात्रों की मेहनत को सराहा है। मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत धीमान ने भी छात्रों के प्रयासों की सराहना की है।
बिना थके पूरा कर सकते हैं लंबी दूरी
डॉ. दिलशाद ने बताया कि ई-साइकिल से लंबी दूरी को बिना थके आसानी से पूरा कर सकता है। जिम में लगी एक्सरसाइज साइकिल और ट्रेडमिल में भी तकनीक को अपनाया जा सकता है ताकि अत्याधिक हृदय गति बढ़ने से होने दिल के दौरे की घटनाओं को कम किया जा सकता है। साइकिल में धड़कन की सीमा 100 प्रति मिनट और ट्रेड मिल में 130 तय की जा सकती है।