मंडी में वीरभद्र और सुखराम परिवार की पुरानी रार भाजपा का नया हथियार बन गई है। नड्डा से भेंट के बाद वीरभद्र परिवार के खिलाफ पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा चुनावी मोर्चे पर हमलावर तेवरों के साथ उतर गए हैं।
हिमाचल प्रदेश के मंडी में वीरभद्र और सुखराम परिवार की पुरानी रार भाजपा का नया हथियार बन गई है। नड्डा से भेंट के बाद वीरभद्र परिवार के खिलाफ पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा चुनावी मोर्चे पर हमलावर तेवरों के साथ उतर गए हैं। वहीं, भाजपा की इस चाल का कांग्रेस कूटनीतिक जवाब दे रही है। यानी विक्रमादित्य पुरानी दुश्मनी उजागर करने के बजाय पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम के समय हुए कामकाज की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।
सोमवार को आश्रय शर्मा ने रामपुर में विक्रमादित्य सिंह के गृहक्षेत्र रामपुर जाकर ही मोर्चा खोला। इससे लगा कि मंडी में लोकसभा चुनाव के बीच वीरभद्र और सुखराम परिवार की रार एक बार फिर सामने आ गई है। आश्रय के यह नए तेवर हाल ही में उनकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात के बाद कड़े हुए हैं। आश्रय ने कहा कि राजपरिवार को मंडी लोकसभा क्षेत्र में कई बार सांसद बनने का मौका मिला, लेकिन एक भी बड़ी योजना केंद्र से हिमाचल और मंडी लोकसभा क्षेत्र के लिए नहीं ला पाए। यही नहीं, अपने दादा के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए आश्रय बोले कि पंडित सुखराम जब मंडी लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने तो उन्होंने पूरे देश में संचार क्रांति लाकर हिमाचल को ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
पिछला चुनाव वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि के रूप में प्रतिभा सिंह ने जीता। इस बार ऐसा नहीं होगा। वहीं, मंगलवार को मंडी के साई गलू में विक्रमादित्य सिंह ने सुखराम परिवार की तारीफ में कहा कि पंडित सुखराम संचार क्रांति के मसीहा रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कई कार्य किए। उल्लेखनीय है कि मंडी में सुखराम फैक्टर हमेशा असर दिखाता है। जब पंडित सुखराम जीवित थे तो भी और अब जब न वह हैं और न ही वीरभद्र सिंह हैं तो भी मंडी में लोकसभा चुनाव में दोनों ही राजनीतिक दल इसे अनदेखा नहीं कर पा रहे हैं। वर्ष 2014 में जब प्रतिभा सिंह को रामस्वरूप शर्मा ने हराया था तो उस वक्त वीरभद्र सिंह ने भी पंडित सुखराम की ओर इशारा करते हुए एक चर्चित बयान दिया था कि इसमें उनकी भी भूमिका रही है। उससे पहले भी दोनों ही नेता कई मोर्चों पर आमने-सामने रह चुके हैं।
प्रतिभा सिंह की हार के बाद आश्रय शर्मा ने 2019 के चुनाव में कांग्रेस का टिकट लेकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, मगर वह रामस्वरूप शर्मा से बड़े अंतर से हार गए थे। आश्रय शर्मा के चुनाव लड़ते वक्त अनिल शर्मा मंडी सदर से भाजपा के ही विधायक थे। वह जयराम सरकार में मंत्री भी रहे। हालांकि उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया था। उसके बाद 2021 में रामस्वरूप शर्मा के देहांत के बाद हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने मंडी सीट से जीत दर्ज की थी।
उधर, आश्रय शर्मा कहते हैं कि अब यह लड़ाई आरपार की है। उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान ही भाजपा ज्वाइन कर इसके लिए काम शुरू कर दिया था। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उनके पिता स्व. वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में मंडी में अभूतपूर्व विकास कार्य किए गए। चाहे आईआईटी मंडी समेत कई संस्थान ही खोले जाने की बात हो या आधारभूत ढांचा विकास के कई कार्य हों। आश्रय शर्मा क्या कहते हैं, यह उनकी सोच है। पंडित सुखराम ने भी संचार क्रांति लाई और कई काम किए, मगर वह भी कांग्रेस के साथ जुड़कर यह सब कर पाए।