लोकसभा की चार और छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के लिए अंतिम 10 दिनों में जबरदस्त तरीके से प्रचार हुआ।
हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की चार और छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के लिए अंतिम 10 दिनों में जबरदस्त तरीके से प्रचार हुआ। छह चरणों का चुनाव समाप्त होते ही भाजपा और कांग्रेस के कई राष्ट्रीय नेताओं ने हिमाचल पहुंच चुनावी माहौल गरमा दिया। भाजपा ने चुनाव की घोषणा होते ही अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर शुरुआती दौर से ही प्रचार को धार देकर कुछ बढ़त भी बनाई लेकिन कांग्रेस ने करीब एक माह पूर्व बहुत सोच विचार के बाद प्रत्याशी तय कर सभी सीटों को कड़े मुकाबले में फंसा दिया है। प्रदेश में करीब 75 दिनों तक चले चुनाव प्रचार में भाजपा ने जहां कुल 102 चुनावी जनसभाएं की वहीं मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अकेले ही 119 चुनावी रैलियां कर कांग्रेस का मोर्चा संभाला। टिकट आवंटन में पिछड़ी कांग्रेस के 34 स्टार प्रचारकों ने प्रदेश भर में 307 जनसभाएं कीं।
कांग्रेस की ओर से इन्होंने कीं रैलियां
कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक, राहुल गांधी ने दो, भूपेश बघेल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सचिन पायलट, मुकुल वासनिक ने एक-एक और राजीव शुक्ल ने नौ रैलियां कीं। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने 90, प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने 75 जगह रैलियां कीं। राष्ट्रीय नेताओं में शशि थरूर, अलका लांबा, रोहित चौधरी, प्रवीण डावर, पवन खेड़ा, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक भी चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल पहुंचे।
भाजपा से जयराम ने सबसे ज्यादा 46 रैलियां कीं
भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी ने 2, राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने 7, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 2, नितिन गडकरी ने 2, कल्पना सैणी ने 2, यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ ने 2, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने 1, डाॅ. अल्का गुज्जर ने 1, दीया कुमारी ने 1, राजीव जसरोटिया ने 2, चुनाव प्रभारी श्रीकांत शर्मा ने 8, प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल ने 17, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने 46, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने 3, राज्यसभा सांसद इंदू गोस्वामी ने 3, डाॅ. सिकंदर कुमार ने 2 जनसभाएं कीं।
कांग्रेस ने आपदा में अनदेखी को बड़ा मुद्दा बनाया, भाजपा के पास मोदी नाम
लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने जहां धनबल बनाम जनबल और आपदा में अनदेखी को बड़ा मुद्दा बनाया है, वहीं भाजपा के पास यहां मोदी नाम का बड़ा सहारा है। पिछले दो आम चुनाव में लगातार चारों सीटें कब्जाने वाली भाजपा इस बार भी मोदी के आसरे चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाना चाह रही है तो उपचुनाव में मंडी सीट को भाजपा से झटकने वाली कांग्रेस यहां भाजपा के इस इरादे पर पानी फेरने के कई अन्य मुद्दे उठाते हुए हमलावर है। चार लोकसभा सीटों के चुनाव और छह विधानसभा सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव में कई मुद्दे बने। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले छह कांग्रेस विधायक बागी होकर भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार के लिए क्रॉस वोटिंग कर गए। उसके बाद वित्त विधेयक पारित करते वक्त व्हिप जारी होने के बावजूद गैर हाजिर रहने पर वे अयोग्य घोषित हो गए तो विधानसभा की सीटें रिक्त होने पर उपचुनाव भी घोषित हो गए
भाजपा ने छहों अयोग्य घोषित विधायकों को टिकट दे दिए। उससे पहले से ही मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया कि धनबल का इस्तेमाल कर कांग्रेस के छहों विधायक बिक गए। तबसे लेकर चुनाव के आखिर तक सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे को नहीं छोड़ा। हालांकि, भाजपा इन आरोपाें को बेबुनियाद बताकर कांग्रेस पर हमलावर है। इसके बावजूद भाजपा ने चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के हिमाचल से जुड़ाव व मोदी सरकार की नीतियों को प्रचारित किया और महिलाओं को वायदे के मुताबिक 1500-1500 देने जैसी कांग्रेस की गारंटियों के धरातल पर न उतरने के आरोपों को बनाए रखा। कांग्रेस ने बरसात में आई आपदा में अनदेखी को भी एक मुद्दा बनाया तो भाजपा ने आपदा राशि में बंदरबांट का आरोप लगाकर इसकी काट ढूंढी।
प्रधानमंत्री मोदी ने मंडी की जनसभा में आपदा राहत राशि के आवंटन में गड़बड़ी पर जांच करने की बात कर कांग्रेस के इस मुद्दे पर पलटवार कर कहा कि केंद्र से सैकड़ों करोड़ रुपये हिमाचल को दिए गए, मगर इनका दुरुपयोग हुआ। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होगी। राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा को भी भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ मुद्दा बनाने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने भी कहा कि हिमाचल सीमाई क्षेत्र है और हिमाचल के लोग ताकतवर सरकार का मतलब जानते हैं। वहीं, कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने अग्निवीरों की भर्ती को भी भाजपा के खिलाफ मुद्दा बनाने का प्रयास किया।