इस्तीफा देने वाले निर्दलीय पूर्व विधायकों के टिकटों पर संशय, जानिए पूरा मामला

Doubt over tickets of independent former MLAs who resigned, know what political analysts say

इस्तीफा मंजूर होने पर अगला चुनाव लड़ने के लिए छह निर्दलीय पूर्व विधायक तैयार बैठे हैं। इस्तीफे मंजूर होने के बाद अब छह महीनों के भीतर उपचुनाव करवाने होंगे।

विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले तीन निर्दलीय पूर्व विधायकों को चुनावी नतीजे आने के बाद बदले परिदृश्य में उपचुनाव में टिकट मिलेंगे कि नहीं, इस पर संशय बना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इनके टिकटों पर इन नतीजों ने संशय खड़ा कर दिया है। दल-बदल के विधानसभा उपचुनाव में बड़ा मुद्दा बनने और इसका असर छह में से चार सीटें गंवाने के रूप में नजर आने के बाद अब भाजपा के सामने एक नई चुनौती खड़ी होगी। तीनों को टिकट देने के बाद भाजपा को अपनों के नाराज होने पर भितरघात से भी दो-चार होना पड़ सकता है। 

इस्तीफा मंजूर होने पर अगला चुनाव लड़ने के लिए छह निर्दलीय पूर्व विधायक तैयार बैठे हैं। इस्तीफे मंजूर होने के बाद अब छह महीनों के भीतर उपचुनाव करवाने होंगे, जो सितंबर या अक्तूबर में पड़ोसी राज्य हरियाणा के विधानसभा चुनाव के साथ ही करवाए जा सकते हैं। भाजपा के राज्यसभा सदस्य पद के लिए क्रॉस वोटिंग के बाद शुरू हुए दल-बदल के इस सिलसिले ने अब नई सियासी चर्चा शुरू कर दी है। चर्चा यह है कि अयोग्य घोषित किए कांग्रेस के छहों पूर्व विधायकों को टिकट देने का यह दांव भाजपा के लिए सही नहीं बैठा। 

इसलिए छह में चार सीटों में चूक गई। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इसके लिए धनबल बनाम जनबल का मुद्दा बनाकर भाजपा की चाल को नहीं चलने दिया। ऐसे में स्वाभाविक रूप से अगले उपचुनाव में भी मुख्यमंत्री इसी मुद्दे के हथियार को और पैना कर इन निर्दलीय पूर्व विधायकों पर निश्चित तौर पर वार करेंगे। दूसरी ओर, सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने इन तीनों को ही विधानसभा चुनाव में टिकट देने की पेशकश करके ही पार्टी में आने का न्योता दिया।

अब भाजपा को या तो टिकट देने का वचन निभाकर एक बार फिर से जोखिम लेना होगा या फिर कोई दूसरा रास्ता अपनाना होगा। अगर भाजपा के सामने दूसरा रास्ता अपनाने की नौबत आई तो इनके टिकटों पर संशय खड़ा हो सकता है। भाजपा ने क्या टिकट देने का वायदा किया है, इसके जवाब में इस्तीफा देने वाले पूर्व निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर ने कहा कि सब बातें बताई नहीं जा सकती हैं। लोकसभा चुनाव के लिए भी उन्होंने भरसक मेहनत की है और अच्छी लीड दिलाई है।

भाजपा का टिकट मिलेगा तो वह चुनाव लड़ेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी का जो प्रत्याशी होगा, उसके लिए प्रचार करेंगे। उधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र धर्माणी ने कहा है कि अभी किसी को टिकट देने पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। पार्टी ही तय करेगी कि किसे टिकट दिया जाना है। अभी उपचुनाव घोषित नहीं किए गए हैं। जब घोषित हो जाएंगे तो ही एक प्रक्रिया के तहत ही टिकट दिए जाते हैं। इस फैसले को संसदीय बोर्ड लेता है।

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