# नवनिर्वाचित विधायकों में से बन सकता है मंत्री, सरकार को संकट से उबारने का मिल सकता है तोहफा…

hp sukhu govt: A minister can be made from among the newly elected MLAs

अनुराधा राणा कांग्रेस की एकमात्र महिला विधायक हैं। पहली बार चुने जाने के बावजूद वह मंत्री पद की सशक्त दावेदार हो गई हैं। राकेश कालिया भी वरिष्ठता के नाते कैबिनेट में जगह पा सकते हैं। 

सुक्खू मंत्रिमंडल में खाली कैबिनेट मंत्री के एक पद को नवनिर्वाचित विधायकों में से भी भरा जा सकता है। सरकार को संकट से उबार लेने का तोहफा मंत्रिमंडल विस्तार में दिया जा सकता है। अनुराधा राणा कांग्रेस की एकमात्र महिला विधायक हैं। पहली बार चुने जाने के बावजूद वह मंत्री पद की सशक्त दावेदार हो गई हैं। राकेश कालिया भी वरिष्ठता के नाते कैबिनेट में जगह पा सकते हैं। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर में उनके सबसे बड़े विरोधी राजेंद्र राणा को हराने वाले कैप्टन रंजीत राणा को भी कोई पद मिल सकता है। ओहदे की दावेदारी में स्वाभाविक रूप से विवेक शर्मा भी होंगे।

लाहौल-स्पीति में दो पूर्व विधायकों को हराकर अनुराधा राणा हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सदस्य बनी हैं। वह प्रदेश विधानसभा में दूसरी महिला विधायक होंगी और कांग्रेस से इकलौती। वर्तमान में सुक्खू मंत्रिमंडल में कोई भी महिला मंत्री नहीं है। इसलिए अनुराधा राणा मंत्री पद की मजबूत दावेदार होंगी। गगरेट से चुनाव जीतने वाले राकेश कालिया चौथी बार कांग्रेस पार्टी से विधायक बने हैं। कालिया मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नजदीकी हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं। उनका 16 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में टिकट कट गया था। इससे नाराज होकर वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे, मगर उपचुनाव में दोबारा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर चौथी बार विधायक बने हैं।

वह दो बार चिंतपूर्णी से विधायक चुने जा चुके हैं, जबकि 2012 के बाद इस सीट के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद कांग्रेस से तीसरी बार गगरेट हलके से विधायक बने थे। अब फिर यहीं से उपचुनाव लड़कर वह विधानसभा पहुंच रहे हैं। जहां तक सुजानपुर की बात है तो यहां से कैप्टन रंजीत राणा ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गृह जिला में चुनाव जीतकर उनका मान बढ़ाया है। बेशक वह पहली बार विधायक बने हैं, मगर हमीरपुर में उनकी महत्ता को जाहिर करने के लिए मुख्यमंत्री उन्हें भी किसी अच्छे पद का तोहफा दे सकते हैं। इसी तरह कुटलैहड़ में मुख्यमंत्री सुक्खू और उप मुख्यमंत्री अग्निहोत्री के ही पसंदीदा उम्मीदवार विवेक शर्मा भी पहली बार विधायक बने हैं। सरकार की साख बचाने में उनका योगदान रहने का उन्हें भी सम्मान मिल सकता है। अभी कैबिनेट रैंक का सरकारी मुख्य सचेतक पद खाली है। कई अन्य ओहदों पर भी नियुक्तियां शेष हैं।

कैबिनेट रैंक बांटकर कांगड़ा जिले के विधायकों को पहले ही तरजीह दे चुके हैं मुख्यमंत्री सुक्खू
सबसे बड़े कांगड़ा जिला को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू दो मंत्री चंद्र कुमार और यादविंद्र गोमा के रूप में पहले ही दे चुके हैं। भवानी सिंह पठानिया, रघुवीर बाली को कैबिनेट रैंक, केवल सिंह पठानिया को राज्य मंत्री के बराबर दर्जा दिया जा चुका है। किशोरी लाल और आशीष बुटेल को मुख्य संसदीय सचिव बनाया जा चुका है।  कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में कुलदीप सिंह पठानिया विधानसभा अध्यक्ष हैं। ऐसे में कांगड़ा की एक और मंत्री पाने की मांग अब पहले जैसी मजबूत नहीं है।

वहां लोकसभा चुनाव के नतीजे भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे। चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री एक अन्य मंत्री को बड़ी जिम्मेवारी देने के लिए ड्राॅप भी कर सकते हैं और बड़े दायित्व वाले इस क्षेत्र के विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान दे सकते हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र से वर्तमान में केवल एक मंत्री जगत सिंह नेगी किन्नौर से हैं। रामपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक नंद लाल को सातवें वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। एक अन्य मुख्य संसदीय सचिव मंडी संसदीय सीट के कुल्लू हलके से सुंदर सिंह ठाकुर हैं। ऐसे में लाहौल स्पीति मंडी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हाेने के चलते मंत्री पद की दावेदारी में आगे है।

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