हिमाचल में बेरोजगारी-अग्निवीर मुद्दे बेअसर, महिलाओं का भी नहीं मिला साथ

भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल अपने-अपने स्तर पर समीक्षा में जुटे हैं तो जनता के बीच चुनाव में कारक रहे मुद्दों को लेकर चर्चा हो रही है।

लोकसभा चुनाव का समर अगले पांच साल के लिए भले ही थम गया है लेकिन इसके नतीजों की सियासी चीर-फाड़ का दौर फिलहाल जारी है। भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल अपने-अपने स्तर पर समीक्षा में जुटे हैं तो जनता के बीच चुनाव में कारक रहे मुद्दों को लेकर चर्चा हो रही है। प्रदेश में कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र को ही लें तो यहां कांग्रेस का कोई भी चुनावी दाव मतदाताओं पर नहीं चल पाया। बेरोजगारी और अग्निवीर जैसे मुद्दे बेअसर रहे तो लुभावनी गारंटियों के बावजूद महिलाओं-युवाओं का पूरा साथ पार्टी को नहीं मिल पाया। 

कांग्रेस ने चुनावी अभियान में बेरोजगारी, अग्निवीर योजना, महिलाओं-युवाओं को सहयोग व सम्मान समेत आशा-आंगनबाड़ी वर्कर्स और किसानों की खुलकर बात कर इनसे जुड़े ज्वलंत मुद्दों को जोरशोर से उठाया। संसदीय क्षेत्र में सैनिक व पूर्व सैनिक परिवारों और युवाओं की अच्छी खासी तादाद देख अग्निवीर योजना को रद्द कर सेना में भर्ती की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की गारंटी दी। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय दोगुना करने, महिलाओं को हर माह 8,500 रुपये देने, नौकरियों में 50% आरक्षण का भी वादा किया। 

हिमाचल प्रदेश में महिलाओं को 1500 रुपये की सम्मान राशि पर सफाई देते हुए देरी के लिए भाजपा को निशाने पर लिया और चुनाव निपटते ही महिलाओं के खाते में एक साथ दो महीने की सम्मान राशि डालने का विश्वास भी दिलाया। सत्ता में आते ही तीन लाख खाली पदों पर भर्ती और युवाओं के लिए आकर्षक अप्रेंटिसशिप योजना की बात की। किसान वर्ग को साधने के लिए एमएसपी का कानूनी अधिकार और कृषि उपकरणों पर जीएसटी से छूट की गारंटी भी जनता के सामने रखी।

प्रियंका गांधी ने जहां रैली की, वहां भाजपा को लीड
कांग्रेस की सबसे लोकप्रिय चेहरा प्रियंका गांधी का जादू भी मतदाताओं पर नहीं चल पाया। उन्होंने इस संसदीय क्षेत्र में जहां-जहां भी रैलियां की, वहां से भाजपा लीड ले गई। प्रियंका ने चंबा हलके में रैली की तो वहां भाजपा 19,473 की लीड ले गई। वहीं, शाहपुर हलके से भी भाजपा 21,729 मतों की लीड ले उड़ी। डाक मतों में भी भाजपा के डॉ. राजीव भारद्वाज करीब 3,759 वोटों से आगे रहे। प्रियंका गांधी ने चंबा और कांगड़ा के शाहपुर की जनसभाओं में तमाम मुद्दों पर कांग्रेस की गारंटियों का भरोसा दिलाकर लगभग हर तबके मतदाताओं को साधने की कोशिश की। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और पार्टी प्रत्याशी आनंद शर्मा भी पूरे संसदीय क्षेत्र में इसी लाइन पर प्रचार के लिए दौड़-धूप करते रहे, लेकिन कांग्रेस बड़ा उलटफेर करने में नाकाम रही। कांग्रेस के चुनावी अभियान के सभी दाव धरे के धरे रह गए।

5,32,146 महिलाओं ने किया मतदान
अब बात करें वोटिंग में पुरुषों से आगे रहीं संसदीय क्षेत्र की महिलाओं की तो इसमें भी कांग्रेस काफी पीछे रह गई। कांगड़ा-चंबा में महिला मतदाताओं ने लगभग हर हलके में पुरुषों से अधिक मतदान किया। लगभग 5,32,146 महिला मतदाताओं ने मतदान किया। जबकि, मतदान करने वाले पुरुषों का आंकड़ा 4,89,041 रहा। कांगड़ा के 13 विस हलकों में 4,18,763 महिलाओं तो 3,79,450 पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया। इसी तरह चंबा के चार हलकों में 1,13,383 महिलाओं और 1,09,591 पुरुषों ने मतदान किया। नतीजे में डॉ. राजीव भारद्वाज ने ढाई लाख से अधिक मतों के अंतर से प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की। डॉ. भारद्वाज की इस बंपर जीत को सुनिश्चित करने में कांगड़ा-चंबा की महिला मतदाताओं का भी बड़ा योगदान माना जा रहा है।

प्रत्याशियों को नकारने वाले भी हजारों में
चुनावी रण में खड़े हुए भाजपा-कांग्रेस समेत आठ अन्य प्रत्याशियों को सिरे से नकारने वाले मतदाताओं की संख्या में भी यहां हजारों में रही। दरअसल संसदीय क्षेत्र के करीब 6,368 मतदाता ऐसे रहे जो मतदान करने घरों से तो निकले, मगर उन्हें कोई भी पसंद नहीं आया। प्रत्याशी विशेष को मत देने के बजाय इन सभी ने नोटा का बटन दबाकर अपना रोष जाहिर किया। धर्मशाला हलके में सबसे अधिक 501 मतदाताओं ने नोटा को वोट किया। चुराह, सुहल, नगरोटा, कांगड़ा, शाहपुर और बैजनाथ में नोटा का बटन दबाने वाले मतदाताओं की संख्या 400 के पार रही। 2019 और 2014 के मुकाबले इस बार यह आंकड़ा कम रहा। 2014 में 8704 और 2019 में 11,327 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।

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