# इस साल 3,000 करोड़ तक सिमट जाएगा सेब कारोबार, इस बार सूखे की मार का पैदावार पर असर…

This year apple business will shrink to Rs 3000 crore this time the drought will affect the production

हिमाचल में सेब का कारोबार इस बार 3,000 करोड़ रुपये के आसपास ही सिमट जाएगा। सर्दियों में कम बारिश और गर्मियों में सूखे जैसी स्थिति से सेब उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। बागवानी विभाग का सीजन में 2.91 करोड़ यूनिवर्सल कार्टन उत्पादन का अनुमान है। अगर इसे टेलिस्कोपिक कार्टन के पैमाने से मापा जाए तो वास्तव में 2.33 करोड़ पेटियां ही मार्केट पहुंचेगी। हालांकि, इस बार का उत्पादन पिछले सीजन से ज्यादा है। पिछले साल 1.78 करोड़ टेलिस्कोपिक कार्टन का उत्पादन हुआ था, जो पिछले पांच साल में सबसे कम था।

हिमाचल में लगातार दो सीजन में सेब की अर्थ व्यवस्था 5,000 करोड़ सालाना कारोबार वाली नहीं रह गई है। बागवानी विभाग का पूर्वानुमान इस सेब सीजन के भी कमजोर होने की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि, यह प्रारंभिक अनुमान है। मौसम ने बरसात में साथ न दिया तो इसमें और भी गिरावट आ सकती है। उल्लेखनीय है कि पिछली बरसात में आपदा आने से सेब की फसल भी प्रभावित हुई थी और उसी वजह से उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज हुई। इस बार भी मौसम के प्रतिकूल रहने से सेब बागवानी पर संकट आया है। कई क्षेत्रों में सेब की फसल नाममात्र की है।

कहां पर कितने उत्पादन का अनुमान

जिलायूनिवर्सल कार्टन
शिमला1,60,99550
कुल्लू62,70,600
किन्नौर33,32,200
मंडी25,47,250
चंबा5,98,150
सिरमौर3,09400
लाहौल-स्पीति64,050
कांगड़ा15,000
सोलन4,900
बिलासपुर1,300
हमीरपुर350
ऊना50

इस सीजन में हिमाचल में 2.91 करोड़ यूनिवर्सल कार्टन सेब उत्पादन का अनुमान है। बागवानी विभाग की ओर से प्रारंभिक तौर पर जुटाए आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान जताया गया है। वास्तविक उत्पादन इससे भिन्न भी हो सकता है- जगत सिंह नेगी, बागवानी मंत्री

कोविडकाल में सेब ने ही बचाई थी हिमाचल की लाज
हिमाचल में सेब बागवानी का विकास दर की गिरावट रोकने में अहम योगदान है। कोविडकाल में वैश्विक मंदी के उपजने से देश की विकास दर जहां गिरकर 5.0 पहुंच गई थी हिमाचल की विकास दर 5.6 पर टिकी थी। यानी यह राष्ट्रीय औसत से दशमलव 6 फीसदी अधिक थी। प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार प्राथमिक क्षेत्र के तहत आने वाले कृषि और बागवानी की विकास दर 9.3 फीसदी थी। इसमें भी बागवानी उपज में 42.82 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। वित्तीय क्षेत्र जिसमें उद्योग और पर्यटन आते हैं उनकी विकास दर 3.9 प्रतिशत रह गई थी। तृतीयक क्षेत्र सेवा क्षेत्र में यह 7.7 प्रतिशत थी।

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