नौ जुलाई को ब्यास की जल समाधि से बाहर आए पंचवक्त्र मंदिर की सुरक्षा का इस बार कोई भी प्रबंध नहीं किया है। 

Construction of a new bridge in place of the washed away bridge, no steps taken to protect the Panchavaktra te

 पिछले साल नौ जुलाई को ब्यास की जल समाधि से बाहर आए पंचवक्त्र मंदिर की सुरक्षा का इस बार कोई भी प्रबंध नहीं किया है। सिल्ट और रेत को भी पूरी तरह से नहीं हटाया जा सका है। मगर मंदिर की क्षतिग्रस्त दीवार और निकले पत्थरों को ठीक कर दिया गया है।  मंदिर में नया दरवाज भी लगाया गया है। 

संबंधित विभाग और पुजारियों का कहना है कि मंदिर को ब्यास की तेजधारा से बचाने का कोई भी फार्मूला काम नहीं कर सकता क्योंकि जब बाढ़ आती है तो वह सब कुछ बहाकर ले जाती है। हालांकि पिछले साल यहां पर मंदिर के लिए बना पुल जो बह गया था वह इस शिवरात्रि को पूरी तरह से तैयार कर सभी की सुविधा के लिए लोकार्पित किया जा चुका है। वहीं मंडी के विश्वकर्मा मंदिर के पास पिछले साल ढही पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा नहीं टला है। इस पर कोई बड़ा डंगा नहीं लग पाया है। इस बार विभाग ने सुरक्षा के नाम पर यहां पर बस पूरी पहाड़ी को तिरपाल से ढक दिया है। 

दोबारा बसाया जा रहा है थुनाग बाजार
 पिछले साल नौ जुलाई को थुनाग बाजार में जलजला आया था। उस समय लकड़ी, पत्थर, मिट्टी आने से पूरा बाजार तहस-नहस हो गया था। सभी कारोबारी तबाह को गए थे, मगर अब यह बाजार दोबारा बस रहा है। नए भवनों का निर्माण हो रहा है। दुकानों का भी निर्माण किया जा रहा है। बेशक कारोबारियों और वहां के स्थानीय लोगों के जख्म अभी तक नहीं भरे हैं मगर यहां पर एक बार फिर से यह बाजार नए स्वरूप में नजर आ रहा है। अभी भी यहां पर बरसात में हालात खराब होने से  इनकार नहीं किया जा सकता। संवाद

बल्ह में सुकेती खड्ड का प्रकोप जारी
। पिछले साल 13 और 14 अगस्त को बल्ह क्षेत्र में सुकेती ने पूरी घाटी को जलमग्न कर दिया था। हालात इस बार भी नहीं बदले हैं। बरसात में सुकेती में बाढ़ आने की पूरी संभावना रहती है। पिछले साल सुकेती ने मनाली चंडीगढ़ फोरलेन को भी अपनी जलधारा में ले  लिया था। उस समय फोरलेन एक नदी के जैसा ही प्रतीत हो रहा था, जबकि पूरी क्षेत्र में लोगों के घर डूब गए थे। इस बार भी कोई हालात नहीं बदले हैं न ही खड्ड का तटीकरण हुआ है।

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